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नई दिल्ली: भारत सरकार ने श्रमिक वर्ग की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करते हुए आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। यह फैसला देश के लाखों सरकारी कर्मचारियों और श्रमिकों के लिए राहत भरा संदेश लेकर आया है। भारतीय मजदूर संघ, जो पिछले कई वर्षों से इस मुद्दे को लेकर सरकार से संवाद करता रहा है, ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में श्रमिक हितों के प्रति सरकार की गहरी प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया है। 

भारतीय मजदूर संघ ने इस महत्वपूर्ण निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि श्रमिकों के अधिकारों और उनकी गरिमा को सम्मान देने वाला ऐतिहासिक फैसला है। संघ ने यह भी कहा कि इस घोषणा ने न केवल सरकार और श्रमिकों के बीच के संवाद को मजबूत किया है, बल्कि यह दिखाया है कि सरकार अपने नागरिकों के कल्याण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। संघ के मुताबिक, वेतन आयोग की स्थापना श्रमिक वर्ग की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। 

इस आयोग की सिफारिशें न केवल वेतन वृद्धि सुनिश्चित करेंगी, बल्कि श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारने में भी अहम भूमिका निभाएंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और चीफ इकनॉमिक एडवाइजर के साथ संघ के प्रतिनिधियों की नियमित बैठकों और हाल ही में हुए प्री-बजट परामर्श में इस मुद्दे को प्राथमिकता के साथ उठाया गया था। इन चर्चाओं का यह सकारात्मक परिणाम श्रमिक समुदाय के लिए एक बड़ी जीत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सरकार के अन्य वरिष्ठ नेताओं के प्रति आभार प्रकट करते हुए संघ ने कहा कि यह निर्णय श्रमिकों के प्रति सरकार के सरोकार का परिचायक है।

उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि आयोग का गठन जल्द होगा और इसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा, जो श्रमिकों के हितों का ध्यान रखते हुए ठोस नीतियां तैयार करेंगे। आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से न केवल श्रमिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाएगा, बल्कि इससे उनके परिवारों के जीवन स्तर में भी सुधार आएगा। यह फैसला इस बात का भी संकेत है कि सरकार श्रमिक वर्ग की आवाज को न केवल सुन रही है, बल्कि उनकी समस्याओं को हल करने के लिए ठोस कदम भी उठा रही है। 

इस निर्णय ने श्रमिक समुदाय में एक नई ऊर्जा भर दी है। इसे श्रमिक कल्याण के लिए एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है, जो आने वाले समय में न केवल श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाएगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी। यह कदम श्रमिकों और सरकार के बीच विश्वास की एक नई नींव रखने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

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