Source :- BBC INDIA

प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा

इमेज स्रोत, Prof Rakesh Sinha @x

एक घंटा पहले

शनिवार सवेरे से भारत के सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े विचारक और राज्य सभा के पूर्व सांसद प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा के एक बयान पर चर्चा छिड़ी है.

उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है जिसमें वो कहते दिख रहे हैं कि एक न्यूज़ एंकर ने उनसे “टीवी डिबेट में मुसलमानों की दाढ़ी और टोपी के बारे में अभद्र भाषा बोलने के लिए” कहा था.

तीन मिनट 33 सेकंड का उनका ये वीडियो शनिवार को शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने सोशल मीडिया चैनल पर शेयर किया था.

16 जनवरी 2025 को दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में ‘नई दुनिया फाउंडेशन’ ने “आज के भारत में मुसलमानों का भविष्य” नाम से एक सेमिनार का आयोजन किया था. इसी सेमिनार में प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा ने ये बात कही थी.

लाल रेखा
लाल रेखा

16 जनवरी को आयोजित कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता समलान खुर्शीद, पूर्व सासंद और नई दुनिया के संपादक शाहिद सिद्दिक़ी और राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता और सासंद मनोज झा भी शामिल थे.

17 जनवरी को कंस्टीट्यूशन क्लब ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर तीन तस्वीरें पोस्ट की और बताया कि इस तरह के एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.

इस कार्यक्रम का एक वीडियो कांग्रेस नेता समलान खुर्शीद ने भी अपने यूट्यूब टैनल पर शेयर किया है. वहीं प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा का आधे घंटे का वीडियो जर्नो मिरर नाम के एक यूट्यूब चैनल ने पोस्ट किया है.

उन्होंने साथ ही लिखा है, “भारत के भविष्य में सब पिरोए हुए हैं. 2014 के बाद 80 करोड़ लोगों में 30 फ़ीसदी मुसलमान हैं जिन्हें राशन मिल रहा है. कुल शौचालयों में 31 फ़ीसदी मुसलमानों को मिला है.”

सेमिनार में प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा ने क्या कहा?

दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब ने 17 जनवरी को ये तस्वीर पोस्ट की थी

इमेज स्रोत, ccoi @x

कार्यक्रम में संबोधन देते हुए प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा ने एक पुराना वाकया सुनाया. उन्होंने कहा ये वाकया उस वक्त का है जब वो राज्यसभा में नहीं थे.

अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा, “एक टीवी चैनल से मुझे फ़ोन आया. मैं उस वक्त दिल्ली के सर रतन टाटा लाइब्रेरी में था. मुझसे एंकर ने कहा- ‘आज मैं डिबेट आपसे शुरू करूंगा’. मैं खुश हुआ क्योंकि डिबेट में थोड़ा महत्व मिलता है.”

उन्होंने कहा कि ये फ़ोन उन्हें एक राष्ट्रीय चैनल से आया था. इसका नाम उन्होंने नाम नहीं बताया.

उन्होंने कहा, “जिसने कहा डिबेट करूंगा, वो एक राष्ट्रीय चैनल था, उसका नाम बताना अनुचित होगा. उन्होंने कुछ पॉज़ लिया…. वो कुछ चाहता था लेकिन बोल नहीं पाया. आधे घंटे बाद फिर फ़ोन आया कि… मैंने कहा- ‘आपने बता दिया’. आधे घंटे बाद फिर फ़ोन आया तो मैंने कहा कि ‘मैं लाइब्रेरी के अंदर हूं, कुछ बात है क्या.’ उन्होंने कहा कि- ‘सर आपसे कुछ बात बतानी थी. डिबेट में मेरे मित्र… आते थे, वो आ रहे हैं. मेरी उनसे बात हो गई है. उनको क्या बोलना है मैंने बता दिया है. थोड़ा सा आपको उग्र होना है, आप शांत रहते हैं अच्छा नहीं लगता है’.”

“मैंने कहा- ‘कुछ बता दीजिए वैसा होता दिखाउंगा.’ तो कुछ अभद्र बर्बर्तापूर्ण शब्द उन्होंने मुझे कहा बोलने के लिए, दाढ़ी के ऊपर, टोपी के ऊपर. मैंने कहा- ‘बहुत अच्छा, मैं ज़रूर बोलूंगा. कुछ और है तो बता दीजिए.’ मैंने उनसे फिर पूछा- ‘ये काफी नहीं है कुछ और बताइए.’ उन्होंने कहा- ‘सर आप जो बोलना है बोल दीजिए. आप दोनों झगड़ा करेंगे, मैं बीच-बचाव करूंगा, फिर डिबेट हिट जाएगी. आप भी ट्रेंड करिए ट्विटर पर और मैं भी करूंगा’.”

उन्होंने कहा, “इसके बाद जब टीवी चैनल की गाड़ी आई तो मैंने उनसे कहा कि ‘मैं डिबेट के लिए नोएडा नहीं आ पाउंगा, मुझे अचानक कोई ज़रूरी काम आ गया है, मुंबई जाना है’. एंकर ने पूछा- ‘कुछ ख़ास बात है क्या, कुछ बताइए.’ मैंने कहा- ‘आपने जो निर्देश दिया उसके बाद मैंने बाथरूम में जाकर कई बार रिहर्सल किया और अपनी सूरत देखता रहा.’ फिर मैंने देखा मेरी लंबाई अच्छी है, देखने में बुरा नहीं हूं. तो फिर मैं क्यों नहीं मुंबई जाकर ही एक्टिंग कर लेता हूं.”

प्रोफ़ेसर राकेश सिन्हा ने इस वाकये के बारे में कहा कि ये साल 2016 की बात है. उन्होंने आगे कहा, “मैं इस देश में किसी का दाढ़ी नोचने, किसी की टोपी उतारने के लिए पैदा नहीं हुआ हूं. जो उतार रहे हैं मैं उनसे लड़ने के लिए पैदा हुआ हूं. मैं आरएसएस का स्वयंसेवक हूं और मैं अपनी ज़िम्मेदारी को समझता हूं.”

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

प्रियंका चतुर्वेदी ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, “खुशी की बात है कि राकेश सिन्हा जी ने इस विषय पर बात की. वो जो कह रहे हैं वो मीडिया का असल चेहरा है और बताता है कि कैसे टीआरपी के लिए सच्चाई के ऊपर नफरत को तरजीह दी जाती है.”

मोहम्मद सत्तार फ़ारुख़ी लिखते हैं कि “ये चौंकाने वाला है. ये टीवी डिबेट की सच्चाई है.”

यही राय मज़हर ख़ान की भी है, जिन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है, “आरएसएस नेता राकेश सिन्हा ने टीवी डिबेट में हिस्सा लेना क्यों छोड़ा. टीवी डिबेट की सच्चाई सुनिए.”

सुदिप्ता राय लिखती हैं, “ब्रेकिंग न्यूज़, आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा गोदी मीडिया के बारे में राज़ बाहर ला रहे हैं.”

आदिल सिद्दिक़ी लिखते हैं, “आरएसएस नेता राकेश सिन्हा आज कल कुछ मुस्लिम नेताओं के नये रहनुमा बने हुए हैं.”

वहीं अहसान ख़ान लिखते हैं, “आरएसएस के राकेश सिन्हा गोदी मीडिया के राज़ बाहर ला रहे हैं, कि वो कैसे अपने स्टूडियो में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत पैदा करते हैं.”

शिवम यादव लिखते हैं, “बीजेपी वालों से ज्यादा हिन्दू मुस्लिम के बीच नफ़रत फैलाने का काम मीडिया वाले ही कर रहे है.”

राकेश सिन्हा के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है

लेकिन सोशल मीडिया पर हर कोई इसे टीवी डिबेट और टीआरपी के खेल की तरह नहीं देख रहा है. कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स रोकेश सिन्हा की आलोचना कर रहे हैं.

डेलिआइट नाम के एक यूज़र लिखते हैं पूर्व राज्य सभा सांसद अब राज़ खोल रहे हैं लेकिन उनके पास्ट (पहले का वक्त) को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

वो लिखते हैं, “वो कहते हैं कि टीवी चैनल ने उनसे आपत्तिजनक बयान देने को कहा था लेकिन उन्होंने बीजेपी से राज्य सभा का टिकट पाने के लिए सालों तक नफरत फैलाई है.”

मुंबईचाडॉन नाम के एक यूज़र ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “ये सोचने वाली बात है, क्या मुसलमान मौलानाओं के भी टीवी डिबेट में भड़काने वाले बयान देने के लिए रिश्वत दी जाती है?”

नंदलाल शर्मा ने एक टीवी डिबेट का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया. साथ ही उन्होंने लिखा, “ये राकेश सिन्हा अब टीवी डिबेट में नहीं जाते हैं… और जहां संघ वाले होंगे. वहां हिंदू मुसलमान की बात नहीं होगी. ऐसा हो नहीं सकता… वीडियो 15 जनवरी का है.”

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी दिया था मुसलमानों के बचाव में बयान

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

इमेज स्रोत, Getty Images

ये पहली बार नहीं है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े किसी विचारक ने भारत में अल्पसंख्यकों ख़ास कर मुसलमानों को निशाना बनाए जाने की आलोचना की हो.

मोहन भागवत ने पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर “राम-मंदिर जैसे” विवादों को भड़काने के लिए ‘महत्वाकांक्षी हिंदू’ नेताओं पर तंज़ किया था.

उन्होंने कहा था कि भारत समावेशी और सद्भाव वाला समाज है और इसे मिसाल के तौर पर पेश करना चाहिए. साथ ही भारत के बहुलतावादी समाज का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि क्रिसमस स्वामी रामकृष्णन मिशन में मनाया जाता है.

उन्होंने कहा था “केवल हम ही ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हम हिंदू हैं.”

आरएसएस प्रमुख ने कहा था,” हम लंबे समय से मिलजुल कर रह रहे हैं. अगर हमें ऐसी ही समरसता दुनिया में देखना चाहते हैं तो इसका एक मॉडल तैयार करना होगा. राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग ये सोचते हैं कि वो नई जगहों पर इसी तरह का का मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं. लेकिन इसे मंजूर नहीं किया जा सकता.”

इससे पहले मोहन भागवत ने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि पूजा स्थलों पर ज्यादा विवाद नहीं खड़ा किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे को भी हिंदू और मुस्लिम सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा सकते हैं.

भागवत ने शहर में हर साल होने वाले तीसरे वर्ष के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से निकलने वाले आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, “हर मस्जिद में एक शिवलिंग तलाशने की ज़रूरत नहीं है.”

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

SOURCE : BBC NEWS