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भारत पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव में पाकिस्तान ने भारत पर नीलम-झेलम हाइड्रो प्रोजेक्ट को नुक़सान पहुंचाने का आरोप लगाया है.
पाकिस्तानी सेना के जनसंपर्क विभाग के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ़ चौधरी ने बुधवार को आरोप लगाया है कि ‘भारतीय सशस्त्र बलों ने नीलम-झेलम हाइड्रो प्रोजेक्ट पर हमला किया.’
उन्होंने कहा, “जलविद्युत परियोजना को निशाना बनाना अस्वीकार्य और खतरनाक है.”
उन्होंने कहा है कि भारत के इस हमले में गेट्स और हाइड्रोलिक सिस्टम के प्रोटेक्शन यूनिट को नुकसान पहुंचा है.
भारत ने गुरुवार को नीलम-झेलम हाइड्रो प्रोजेक्ट को निशाना बनाने के पाकिस्तानी आरोपों को ख़ारिज कर दिया है.
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने गुरुवार को इन आरोपों को “पूरी तरह से मनगढ़ंत” बताया है.
उन्होंने कहा, “मैं कहना चाहता हूं कि यह पूरी तरह से मनगढ़ंत और सफेद झूठ है. अगर इस तरह का दावा इसी तरह के भारतीय बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने का बहाना है, तो निस्संदेह इसके बाद आने वाले परिणामों के लिए पाकिस्तान पूरी तरह से ज़िम्मेदार होगा.”
पाकिस्तान के आरोपों को ख़ारिज करते हुए मिसरी ने कहा, “भारत ने सिर्फ़ और सिर्फ़ आतंकवादी ढाँचे को निशाना बनाया है और उस ढाँचे का ब्यौरा, साथ ही सटीक स्थान, बुधवार को साझा किया गया था.”
60 मीटर ऊंचा है नौसारी बांध

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इस नदी को भारत में किशनगंगा के नाम से जाना जाता है.
नीलम-झेलम हाइड्रो प्रोजेक्ट पर बनाए गए नौसारी बांध की ऊंचाई 60 मीटर और लंबाई 160 मीटर है. इसकी उत्पादन क्षमता करीब 969 मेगावाट बताई गई है.
दुनिया के बिजली संयंत्रों पर नज़र रखने वाले ग्लोबल डेटा पॉवर इंटेलीजेंस सेंटर के अनुसार परियोजना का निर्माण 2008 में शुरू हुआ और 2018 में इसने उत्पादन शुरू किया.
यह आसपास के करीब 50 से 60 किलोमीटर के भीतर आने वाले समस्त क्षेत्र को बिजली आपूर्ति की क्षमता रखता है.
सालाना 50 हज़ार करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन

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नीलम-झेलम हाइड्रो प्रोजेक्ट एक रन-ऑफ-रिवर परियोजना है. इसमें पानी के भंडारण की बहुत ज़्यादा ज़रूरत नहीं होती है. यह तकनीक वहां इस्तेमाल की जाती है, जहां काफ़ी तेज़ गति से नदी बहती है.
इसके जलाशय की क्षमता 10 मिलियन क्यूबिक मीटर है. यह बांध 280 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड पानी के प्रवाह को नियंत्रित करता है. इस बांध की 90 फीसदी संरचना भूमिगत बनाई गई है.
पाकिस्तान के अख़बार द डॉन के अनुसार इस परियोजना की लागत क़रीब 50 हज़ार करोड़ रुपये आई है.
नीलम-झेलम हाइड्रो प्रोजेक्ट से पाकिस्तान हर साल 50 हज़ार करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन कर रहा है. इससे वह झेलम नदी से आने वाली बाढ़ को भी नियंत्रित करता है.
‘सहानुभूति बटोरने के लिए आरोप लगा रहा पाकिस्तान’

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पाकिस्तान की नीलम-झेलम हाइड्रो प्रोजेक्ट को नुक़सान पहुंचाने के आरोप को केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष एके बजाज इसे दुनियाभर से ‘सहानुभूति बटोरने का हथकंड़ा मानते हैं.’
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ऐसी बातें करके दुनिया का ध्यान मूल बात से हटाना चाहता है और बालाकोट की तरह ही पलटवार करने के लिए ग्राउंड तलाश रहा है. जिससे वह अपने देश में खुद को ताकतवर दिखा सके.”
वह कहते हैं, “जहां तक बात डैम की है तो एक दो पाउंड के बम गिरने से एक छोटा सा क्रेटर बनता है न कि डैम को किसी तरह का बड़ा नुकसान पहुंचता है.”
उन्होंने बताया, “पाकिस्तान का यह प्रोजेक्ट भारत के किशनगंगा प्रोजेक्ट के नीचे स्थित है. ऐसे में भारत यहां बिना बताए अगर पानी बंद करता है और फिर पानी छोड़ता है तो बिजली उत्पादन में पाकिस्तान को नुक़सान हो सकता है.”
वह बताते हैं कि पाकिस्तान का यह बड़ा प्रोजेक्ट है, इस प्रोजेक्ट में चीन का भी काफी पैसा लगा हुआ है.
भारत ने 7 मई को मुज़फ़्फ़राबाद के दो ठिकानों को बनाया था निशाना

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भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बुधवार तड़के अपने बयान में बताया था कि सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में ‘कुल नौ ठिकानों’ को निशाना बनाया है.
मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात हुए हमले की जानकारी देते हुए भारतीय सेना की कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी ने बताया था, “पीओजेके के शवाई नाला आतंकी कैंप को निशाना बनाया गया. यह लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर की दूरी पर है.”
उन्होंने दावा किया, “यह एक लश्कर-ए-तैयबा का ट्रेनिंग सेंटर था. 22 अप्रैल 2025 पहलगाम, 24 अक्तूबर 2024 गुलमर्ग और 20 अक्तूबर 2024 सोनमर्ग में हमला करने वाले आतंकियों ने यहीं से प्रशिक्षण लिया था.”
उन्होंने कहा, “सैयदना बिलाल कैंप यह जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया है. यह हथियार, विस्फोटक और जंगल सर्वाइवल ट्रेनिंग का केंद्र भी था.”
वहीं पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने बताया था कि ‘यहां शवाई नाला में स्थित एक मस्जिद निशाना बनी है जिसका नाम मस्जिद-ए-बिलाल है, यहां बिलाल मस्जिद पर सात हमले किए गए.’
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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