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ईरान-इसराइल

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ईरान में मौजूद बड़ी संख्या में भारतीय छात्र और इसराइल में ‘अर्बन गवर्नेंस’ के मुद्दों पर अध्ययन कर रहा कर्नाटक का एक प्रतिनिधिमंडल सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है. सभी के सुरक्षित होने की पुष्टि हुई है.

नॉन-रेज़िडेंट्स केरलाइट्स अफ़ेयर्स (एनओआरकेए) के एक अधिकारी ने बीबीसी हिंदी को बताया, “एनओआरकेए को कुछ मदद की अपीलें मिली हैं और वहां (इसराइल में) बुज़ुर्गों की देखभाल करने वाले कई लोगों के बाल-बाल बचने के मामले सामने आए हैं.”

ईरान की तेहरान यूनिवर्सिटी में भारत के क़रीब 1200 छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. बेंगलुरु के रहने वाले एक छात्र के पिता ने बीबीसी हिंदी को बताया, ”हॉस्टल में रह रहे सभी छात्रों को तेहरान से क़रीब 200 किलोमीटर दूर एक शहर में भेज दिया गया है.”

कारोबारी सैयद इम्तियाज़ हैदर बताते हैं, ”मेरा बेटा सैयद आबिस और कई दूसरे भारतीय छात्रों को क़ज़वीन (जिसे ईरान की कैलीग्राफ़ी की राजधानी माना जाता है) भेजा गया है. वो सभी सुरक्षित हैं.”

ईरान में फंसे छात्र कर रहे हैं मदद की अपील

आबिस ने बेंगलुरु से फ़िजियोथेरिपी में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और फिर मास्टर्स के लिए तेहरान यूनिवर्सिटी चले गए. इस समय वो वहीं से डॉक्टरेट कर रहे हैं.

इस बीच, एक और छात्र नदीम हुसैन ने भारत लौटने के लिए कर्नाटक सरकार की प्रवासी भारतीय (एनआरआई) समिति से संपर्क किया है.

इस समिति की वाइस चेयरपर्सन आरती कृष्णा ने बीबीसी हिंदी को बताया, ”उन्होंने हमसे ये अपील की है. मैंने विदेश मंत्री को लिखा कि नदीम हुसैन समेत सभी नौ छात्रों को तुरंत निकाला जाना चाहिए. मैं इस संबंध में मदद मांगने के लिए दिल्ली पहुंची हूं और विदेश मंत्री से मिलने का समय लेने की कोशिश कर रही हूं.”

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इसराइल में फंसा हुआ है प्रतिनिधिमंडल

वहीं दूसरी तरफ़, इसराइल में बेंगलुरु पॉलिटिकल एक्शन कमिटी (बी-पैक) का 18 सदस्यों वाला प्रतिनिधिमंडल पिछले तीन दिनों से फंसा हुआ है.

यह प्रतिनिधिमंडल अर्बन गवर्नेंस से जुड़े मुद्दों पर अध्ययन करने के लिए इसराइल गया था. इसमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के सदस्यों के अलावा कुछ अन्य लोग भी शामिल थे. यह दल लौटने ही वाला था, लेकिन सभी हवाई अड्डे बंद हो जाने के कारण फंस गया.

प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहा, “हम विदेश मंत्रालय के संपर्क में हैं और हमें ज़रूरी सावधानियों की जानकारी दी गई है. हमारी अच्छी तरह से देखभाल की जा रही है और हम पूरी तरह से सुरक्षित हैं.”

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नॉन-रेज़िडेंट्स केरलाइट्स अफ़ेयर्स (एनओआरकेए) के सीईओ अजित कोलास्सेरी ने बीबीसी हिंदी को बताया कि केरल से बड़ी संख्या में लोग इसराइल में बुज़ुर्गों की देखभाल के क्षेत्र में काम करते हैं.

उन्होंने कहा, “कई लोगों ने बताया कि वे किस तरह आश्चर्यजनक रूप से बच निकले. लेकिन ज़्यादातर लोग अब ऐसे हालात के आदी हो चुके हैं और वहां की अथॉरिटी सख़्त स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) का पालन करती है.”

इसके अलावा, वहां स्थानीय ‘केरल सभा’ भी है, जो प्रवासी केरलवासियों के साथ अच्छी तरह से जुड़ी हुई है. हालांकि, ईरान से इस तरह की कोई मदद की कॉल नहीं आई है क्योंकि वहां केरल से बहुत कम लोग हैं और उनमें से ज़्यादातर कारोबारी हैं.

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विदेश मंत्रालय ने क्या कहा

इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसराइल और ईरान में मौजूद भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइज़री जारी की है.

विदेश मंत्रालय ने इसराइल में रहने वाले भारतीयों से ”सतर्क रहने और इसराइली अधिकारियों की तरफ़ से जारी सुरक्षा निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है.”

इसी तरह ईरान में रहने वाले भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों के लिए भी विदेश मंत्रालय ने एडवाइज़री जारी की है.

ईरान

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मंत्रालय की तरफ़ से कहा गया है, ”वो भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें और ईरान में ग़ैर-ज़रूरी आवाजाही से बचें और दूतावास के सोशल मीडिया पेज पर अपडेट देखते रहें.”

साथ ही मंत्रालय ने संपर्क के लिए कुछ नंबर भी जारी किए हैं.

रविवार को एक बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान में भारतीय दूतावास, सुरक्षा हालात पर लगातार नज़र बनाए हुए है और वहां मौजूद भारतीय छात्रों से संपर्क में है ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

बयान में कहा गया, “कुछ मामलों में छात्रों को दूतावास की मदद से ईरान के भीतर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है. दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है. आगे के अपडेट जल्द दिए जाएंगे. इसके अतिरिक्त, दूतावास कम्युनिटी लीडर्स के संपर्क में है.”

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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