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Last Updated:January 10, 2025, 17:20 IST

Negative impact of parental anger on child development: क्‍या आपने गौर किया है कि बच्चों पर गुस्सा करने से वे अपनी गलतियों को सुधारने की बजाय और अधिक गलतियां करने लगते हैं? दरअसल, आपका बार बार डांटना उनकी मानसिक और भावनात्मक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव…और पढ़ें

बच्चे डर के कारण अपनी गलतियों को छुपाने लगते हैं जिससे उनसे बार-बार गलतियां होने लगती हैं. Image: Canva

How anger damages a child’s self-esteem: बच्चों की परवरिश में माता-पिता का व्यवहार बेहद अहम भूमिका निभाता है. अक्सर गुस्से में बच्चों की गलतियों पर नाराजगी जताई जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका ज्यादा गुस्सा करना बच्चों में न केवल डर पैदा करता है बल्कि उन्हें और डर की वजह से वे अधिक गलतियां करने लगते हैं? विशेषज्ञों का मानना है कि गुस्से का असर बच्चों के मानसिक विकास और आत्मविश्वास पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि गुस्से की जगह, बच्चों से बात करना, और सही तरीके से मार्गदर्शन देना क्यों जरूरी समझा जाता है!

डांटने पर बच्‍चें क्‍यों करते हैं गलतियां-

आत्मविश्वास में कमी- अपने लिए तेज आवाज और गुस्सा जैसा व्‍यवहार जब बच्‍चे अनुभव करते हैं या लगातार ऐसे बोझिल माहौल में रहते हैं तो बच्चों का आत्मविश्वास कम हो जाता है. वे खुद को अयोग्य समझने लगते हैं और किसी भी नए काम में प्रयास करने से डरते हैं.

डर और असुरक्षा का भाव- लगातार गुस्से का सामना करने से बच्चे के मन में डर घर कर लेता है और वह असुरक्षा की भावना से भरने लगता है. इसकी वजह से उनके मानसिक विकास में बाधा पड़ने लगता है.

गलतियां छुपाने की आदत- बच्चे डर के कारण अपनी गलतियों को छुपाने लगते हैं. इससे वे अपनी गलतियों से सीख नहीं पाते और भविष्य में वही गलतियां दोहराते चले जाते हैं.

भावनात्मक दूरी- गुस्सा करने से माता-पिता और बच्चे के बीच भावनात्मक दूरी बढ़ जाती है. बच्चा अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में डरने लगता है और सही मार्ग दर्शन नहीं मिलने से अनजाने में गलतियां करता चला जाता है.

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नकारात्मक प्रभाव- लगातार गुस्से के कारण बच्चे में नकारात्मक सोच विकसित हो सकती है. यह उनके व्यक्तित्व पर गहरा असर डालता है और वे चिड़चिड़े हो सकते हैं. वे जानबूझ कर ऐसा करने लगते हैं जो उन्‍हें करने से मना किया जाता है.

क्‍या करें पेरेंट्स: गुस्से की बजाय बच्चों के साथ बेहतर तरीके से बातचीत करें, उनकी गलतियों को प्यार से समझाएं, और सकारात्मक तरीके से मार्गदर्शन दें. इससे बच्चे आत्मविश्वास के साथ सीख पाएंगे और बेहतर बनेंगे.

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