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नरेंद्र मोदी और राजीव चंद्रशेखर

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एक घंटा पहले

केरल के स्थानीय चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ़्रंट (यूडीएफ़) ने बड़ी जीत के साथ वापसी की है. जबकि सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाले लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ़्रंट (एलडीएफ़) को बड़ा झटका लगा है.

हालांकि, इन दो गठबंधनों की जीत-हार से इतर चर्चा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) की तिरुवनंतपुरम में जीत की भी है.

तिरुवनंतपुरम नगर निगम में एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन बनकर सामने आया है. एलडीएफ़ शासित इस नगर निगम में एनडीए ने 101 में से 50 वार्डों में जीत हासिल की है.

इस जीत की चर्चा इसलिए भी क्योंकि तिरुवनंतपुरम कांग्रेस सांसद शशि थरूर का क्षेत्र है और राज्य में अगले साल (2026) विधानसभा चुनाव हैं. बीजेपी तिरुवनंतपुरम में पार्टी की जीत को केरल में ‘एक नए अध्याय की शुरुआत’ के तौर पर देख रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जीत को “केरल की राजनीति में एक ऐतिहासिक पल” बताया है और जीत के लिए लोगों को धन्यवाद दिया है. वहीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यूडीएफ़ की जीत को ‘उत्साह बढ़ाने वाला’ बताया.

देश की दो मुख्य पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस केरल में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में मिली अपनी-अपनी जीत को राज्य में अगले साल होने वाले चुनाव में ‘बढ़त’ के तौर पर दिखा रही हैं.

इन सब के बीच राजनीतिक बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने तिरुवनंतपुरम में जीत को बीजेपी की ओर से ‘बढ़त’ के तौर पर पेश किए जाने पर तंज़ कसा है.

वहीं तिरुवनंतपुरम से सांसद और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने उनके क्षेत्र में बीजेपी की जीत को ‘लोकतंत्र की खूबसूरती’ बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी की जीत तिरुवनंतपुरम के ‘राजनीतिक परिदृश्य में एक उल्लेखनीय बदलाव’ है.

केरल स्थानीय चुनावों में किसे कितनी सीटें मिलीं?

पिनाराई विजयन

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केरल में 9 दिसंबर और 11 दिसंबर को दो चरणों में हुए स्थानीय चुनावों के शनिवार को परिणाम आए. राज्य में छह नगर निगमों, 14 ज़िला पंचायतों, 87 नगर पालिकाओं, 152 ब्लॉक पंचायतों और 951 ग्राम पंचायत में चुनाव हुए थे.

इनमें कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ़ ने सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ़ पर बड़ी जीत दर्ज की है. यूडीएफ़ ने चार नगर निगमों, 7 ज़िला पंचायतों, 54 नगर पालिकाओं, 79 ब्लॉक पंचायतों और 505 ग्राम पंचायतों में जीत हासिल की है.

वहीं यूडीएफ़ को चार नगर निगमों- कोल्लम, कोच्चि, त्रिशूर और कन्नूर में जीत मिली है.

एलडीएफ़ को महज़ एक नगर निगम, सात ज़िला पंचायतों, 28 नगर पालिकाओं, 63 ब्लॉक पंचायतों और 340 ग्राम पंचायतों में जीत मिली है.

एलडीएफ़ ने साल 2020 में हुए चुनाव में पांच नगर निगमों में जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उसे सिर्फ़ कोझिकोड में ही जीत मिली.

बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने एक नगर निगम, दो नगर पालिकाओं और 26 ग्राम पंचायतों में जीत दर्ज की है.

बीजेपी ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम में 50 सीटें जीती हैं. उसके बाद एलडीएफ़ को 29 और यूडीएफ़ को 19 सीटें मिलीं. इससे पहले बीजेपी तिरुवनंतपुरम में विपक्ष की भूमिका में थी.

इसके अलावा एक नगर पालिका, 10 ब्लॉक पंचायतों और 64 ग्राम पंचायतों में नतीजे बराबरी पर रहे. वहीं अन्य पार्टियों और निर्दलीयों ने छह ग्राम पंचायतें और एक नगर पालिका में जीत हासिल की है.

राजनाथ सिंह

बीजेपी ने तिरुवनंतपुरम में जीत पर क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के स्थानीय चुनावों के परिणाम आने के बाद बीजेपी-एनडीए उम्मीदवारों को वोट देने के लिए केरल के लोगों का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा, “केरल की जनता यूडीएफ़ और एलडीएफ़ से तंग आ चुकी है.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तिरुवनंतपुरम में बीजेपी की जीत को ‘एक नए अध्याय की शुरुआत’ बताया है.

उन्होंने कहा, “तिरुवनंतपुरम ने आशा और दृढ़ विश्वास के साथ अपनी बात रखी है और नगर निगम में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन को सुनिश्चित करते हुए एक नए अध्याय की शुरुआत की है. यह परिवर्तन, विकास और क्लीन गवर्नेंस का समर्थन है.”

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी केरल की जनता का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा, “केरल की जनता ने स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी और एनडीए को भारी जीत दिलाई, तिरुवनंतपुरम को अपना पहला बीजेपी मेयर मिलेगा.”

केरल बीजेपी के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने इन चुनाव परिणामों पर कहा, “मलयाली लोग भ्रष्टाचार-मुक्त शासन, विकास और जवाबदेही चाहते हैं. वे दशकों की नाकारा और भ्रष्ट लेफ्ट-राइट राजनीति से आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं.”

उन्होंने कहा, “हर उस मतदाता का आभारी हूं जिसने इस बदलाव पर भरोसा किया.”

कांग्रेस ने अपनी जीत पर क्या कहा

केसी वेणुगोपाल, राहुल गांधी

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यूडीएफ़ की जीत पर केरल के लोगों का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा, “यह एक निर्णायक और उत्साह बढ़ाने वाला जनादेश है.”

राहुल गांधी ने कहा, “ये नतीजे यूडीएफ़ पर बढ़ते भरोसे का साफ़ संकेत हैं और आने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत का रास्ता दिखाते हैं.”

वहीं केरल से आने वाले कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने यूडीएफ़ की बड़ी जीत को महज़ एक ‘ट्रेलर’ बताया है.

उन्होंने कहा, “यह तो सिर्फ़ शुरुआत है. 2026 में कई ‘क़िले’ ढहेंगे, यूडीएफ़ का झंडा बुलंद होगा और केरल अपनी उस परंपरा को आगे बढ़ाएगा जिसमें वह बीजेपी की विभाजनकारी और ध्रुवीकरण वाली राजनीति को मज़बूती से खारिज करता रहा है.”

केसी वेणुगोपाल ने तिरुवनंतपुरम में बीजेपी की जीत पर हो रही मीडिया कवरेज पर भी तंज़ कसा है. उन्होंने कहा कि मीडिया की ओर से बीजेपी की जीत को “लहर” के तौर पर दिखाना हंसी के क़ाबिल है.

उन्होंने कहा, “अंतिम नतीजों में एनडीए के पास ज़ीरो ज़िला पंचायत, ज़ीरो ब्लॉक पंचायत हैं और वह दो नगर पालिका पर ही अटका हुआ है. एक नगर निगम को “ब्रेकथ्रू” बताकर पेश किया जा रहा है.”

वेणुगोपाल ने कहा, “2024 के लोकसभा चुनाव में त्रिशूर में मिली जीत को भी उन्होंने बड़ी जीत के तौर पर पेश किया था और आज उसी नगर निगम में लोगों ने यूडीएफ़ को ज़बरदस्त जीत दिलाई है. 2024 के लोकसभा चुनाव के मुक़ाबले बीजेपी का वोट शेयर भी 5 प्रतिशत घट गया है.”

“जहां तक “बढ़त” की बात है, पिछली बार के चुनाव के मुक़ाबले वे सिर्फ़ 7 ग्राम पंचायतें ही बढ़ा पाए हैं. 941 में से 19 से बढ़कर 26.”

उन्होंने कहा, “यूडीएफ़ ने छह में से चार नगर निगम जीते हैं, यानी तीन की बढ़त है. 14 में से 7 ज़िला पंचायतों में बढ़त हासिल की है, यानी 4 की बढ़त. 86 में से 54 नगर पालिका में जीत हासिल की, यानी 12 ज़्यादा. ब्लॉक पंचायतों में 79 तक पहुंच गया है, यानी 39 की छलांग. ग्रामीण केरल में 505 ग्राम पंचायतों के साथ मज़बूत पकड़ बना ली है, यानी 164 की बढ़त.”

तिरुवनंतपुरम से सांसद और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि केरल की जनता के जनादेश में राज्य की लोकतांत्रिक भावना पूरी तरह झलकती है. उन्होंने कहा कि यूडीएफ़ के लिए 2020 के मुक़ाबले कहीं बेहतर नतीजे सामने आए हैं.

इसके अलावा तिरुवनंतपुरम में बीजेपी की जीत पर उन्होंने कहा, “मैं तिरुवनंतपुरम में बीजेपी के ऐतिहासिक प्रदर्शन को भी स्वीकार करना चाहता हूं और सिटी कॉरपोरेशन में उनकी अहम जीत के लिए बधाई देता हूं. यह एक मज़बूत प्रदर्शन है, जो तिरुवनंतपुरम के राजनीतिक परिदृश्य में एक उल्लेखनीय बदलाव को दिखाता है.”

शशि थरूर ने कहा, “मैंने एलडीएफ़ के 45 साल के कुशासन से बदलाव के लिए कैंपेन किया, लेकिन मतदाताओं ने एक दूसरी पार्टी को इनाम दिया. यही लोकतंत्र की ख़ूबसूरती है. जनता के फ़ैसले का सम्मान किया जाना चाहिए, चाहे वह पूरे राज्य में यूडीएफ़ के पक्ष में हो या मेरे क्षेत्र में बीजेपी के पक्ष में.”

केसी वेणुगोपाल

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जानकार क्या कह रहे?

एक दशक पहले भी बीजेपी ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम में काफ़ी सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार की जीत को केरल में एक “संभावित टर्निंग पॉइंट” के तौर पर देखा जा रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक प्रोफ़ेसर जे प्रभाष बीबीसी न्यूज़ हिन्दी से कहा, “यह एलडीएफ़ के लिए साख गिरने वाली बात है. तिरुवनंतपुरम से लेकर कासरगोड तक, एलडीएफ़ के ख़िलाफ़ एंटी-इनकंबेंसी है. यहां तक ​​कि तिरुवनंतपुरम में भी, जहां बीजेपी को बहुमत मिला है, कमज़ोर कांग्रेस ने इस बार अपनी सीटों की संख्या बढ़ा दी है.”

वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने तिरुवनंतपुरम में बीजेपी की जीत को ‘ब्रेकथ्रू’ बताया.

उन्होंने कहा, “तस्वीर साफ़ है. विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ़ मज़बूत स्थिति में है, बशर्ते वह हरियाणा जैसे खुद से कोई ग़लती न करे. बीजेपी धीरे-धीरे बढ़त बना रही है, जबकि एलडीएफ़ को बड़ा नुक़सान हुआ है.”

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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