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वेटिकन सिटी से सोमवार को एक दुखद खबर सामने आई। 88 वर्ष की आयु में पोप फ्रांसिस का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। कैथोलिक चर्च के इस सर्वोच्च धार्मिक नेता ने अपने जीवन के अंतिम दिन भी मानवता और शांति का संदेश दिया। रविवार को ईस्टर के मौके पर वेटिकन के सेंट पीटर्स स्क्वायर में अपने अंतिम सार्वजनिक संबोधन में पोप फ्रांसिस ने फिलिस्तीन और इजरायल में पीड़ित ईसाइयों के प्रति अपनी संवेदना जताई और विशेष रूप से गाजा की ईसाई आबादी की ओर इशारा किया, जो इस समय अत्यधिक हिंसा और मानवीय त्रासदी का सामना कर रही है। साथ ही उन्होंने ट्रंप प्रशासन से गैर अमेरिकियों पर नरमी बरतने पर भी जोर दिया।
पोप फ्रांसिस की अंतिम अपील
पोप ने अपनी बात को एक अपील के साथ समाप्त किया, “युद्ध कर रही सभी पार्टियों से मेरी अपील है- युद्धविराम करो, बंधकों को रिहा करो और उन भूखे लोगों की मदद करो जो शांति के भविष्य की उम्मीद कर रहे हैं।” हालांकि पोप ने सीधे-सीधे इज़रायल के सैन्य अभियान को “जनसंहार” नहीं कहा, लेकिन उनका अंतिम संदेश गाज़ा में हो रहे नरसंहार और भुखमरी की ओर स्पष्ट इशारा करता है।
गाजा की स्थिति पर चिंता
अक्टूबर 2023 से अब तक 51,200 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। मार्च में इजरायल द्वारा सभी मानवीय सहायता रोक देने के बाद, गाजा में भुखमरी जैसी स्थिति पैदा हो गई है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 18 मार्च से 9 अप्रैल के बीच इज़रायल के कम-से-कम 36 एयरस्ट्राइक में केवल महिलाएं और बच्चे ही मारे गए।
गैर अमेरिकियों पर नरमी
पोप फ्रांसिस की अमेरिकी नीतियों पर आलोचना भी उनके कार्यकाल का एक अहम हिस्सा रही है। अपने अंतिम दिन उन्होंने अमेरिका की उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से संक्षिप्त मुलाकात की। कुछ हफ्तों पहले ही पोप ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की कठोर प्रवासन नीतियों की निंदा की थी और इन्हें “मानव गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली” बताया था।
बता दें कि 2025 में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही उनकी प्रवासन नीतियां एक बार फिर सख्ती के रास्ते पर लौट चुकी हैं और पहले से भी ज्यादा कठोर मानी जा रही हैं। उनका एजेंडा इस बार “अमेरिका को अवैध प्रवासियों से मुक्त” करने की घोषणा के साथ शुरू हुआ है, मास डिपोर्टेशन ड्राइव शामिल है।
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