Source :- LIVE HINDUSTAN

चीन ने अमेरिका पर अपने दबाव को बढ़ाते हुए कई दुर्लभ खनिजों का निर्यात पूरी तरह से रोक दिया है। इससे न केवल अमेरिकी प्रौद्योगिकी क्षेत्र दबाव में आ गया है बल्कि सरकार पर भी प्रेशर बढ़ता जा रहा है।

दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और गहरा गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 245 फीसदी का टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन ने पहले अमेरिकी बोइंग विमानों को खरीदने से इनकार कर दिया था और अब उसने अमेरिका को दुर्लभ खनिजों की सप्लाई रोक दी है। सीमा शुल्क के आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले दुर्लभ खनिजों की सभी सप्लाई करीब-करीब रोक दी गई है। अमेरिकी टैरिफ वॉर का चीन द्वारा दिए गए इस जवाब से अमेरिकी निर्माताओं पर दबाव बढ़ गया है क्योंकि ये सभी चीनी माल पर ही निर्भर थे।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने सोलर पैनल और थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों के निर्माण में इस्तेमाल में बड़े पैमाने पर उपयोग की जाने वाली धातु टेल्यूरियम के निर्यात में करीब 44 प्रतिशत की गिरावट आई है। टंगस्टन रॉड शिपमेंट में लगभग 84 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि अन्य खनिज पदार्थ टंगस्टन के निर्यात में 77 प्रतिशत की गिरावट आई है। सीमा शुल्क के आंकड़ों के अनुसार, मोलिब्डेनम पाउडर, बिस्मथ उत्पादों और टंगस्टन सामग्री की अन्य तीन श्रेणियों सहित कुछ उत्पाद श्रेणियों के लिए शिपमेंट पूरी तरह से रोक दिए गए हैं।

245 फीसदी के टैरिफ को कम करवाना उद्देश्य

फरवरी में अमेरिका द्वारा चीन पर टैरिफ लगाए जाने के बाद से ही टंगस्टन, बिस्मथ, टेल्यूरियम, इंडियम और मोलिब्डेनम के निर्यात पर चीन ने प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया था। चीनी नियमों के मुताबिक निर्यातकों को इन खनिजों को विदेश भेजने से पहले सरकार की मंजूरी लेनी होती है। लेकिन अमेरिका से बढ़ते व्यापार युद्ध के बाद चीन सरकार ने इन नियार्तों पर बैन लगा दिया है। चीन की कोशिश है कि इस तरह का प्रतिबंध लगाकर अमेरिका पर दबाव बढ़ाया जा सके ताकि वह 245 फीसदी के टैरिफ को कम कर सके।

ये भी पढ़ें:अमेरिका-चीन टैरिफ वॉर के बीच भारत को बड़ा फायदा! बोइंग सौदे में मारेगा बाजी
ये भी पढ़ें:ट्रंप के टैरिफ वॉर का शिकार, चीन ने अमेरिका को वापस लौटाया बोइंग जेट
ये भी पढ़ें:ट्रंप से डील की तो बुरा अंजाम, टैरिफ वॉर के बीच चीन की बाकी देशों को खुली धमकी
ये भी पढ़ें:भारतीय और चीनी छात्रों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ कराया मुकदमा, क्या मामला

संकट में तीन बड़ी इंडस्ट्री

इन खनिजों के निर्यात पर बैन और सप्लाई में आई बड़ी कमी से अमेरिका का न केवल सोलर पैनल और थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों का निर्माण करने वाली कंपनियां और इंडस्ट्री दबाव में हैं बल्कि स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों से लेकर अत्याधुनिक सैन्य उपकरण बनाने वाली कंपनियां भी परेशान हैं। दरअसल, इन कंपनियों और निर्माण उद्योग में इस्तेमाल होने वाली दुर्लभ खनिजों के भंडार और शोधन एवं प्रसंस्करण पर चीन का एकाधिकार है। इसीलिए चीन ने अमेरिका को जबाव देने के लिए सबसे पहले इन खनिजों की सप्लाई पर ब्रेक लगाया है।

इटट्रियम की सप्लाई में 86 फीसदी की कटौती

आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च में चीन ने अमेरिका को निर्यात होने वाले एक अन्य खनिज पदार्थ इटट्रियम की सप्लाई में 86 फीसदी की कटौती की है। इसी तरह स्कैडियम के निर्यात में दो तिहाई की कटौती की गई है। बता दें कि चीन टंगस्टन के कुल वैश्विक उत्पादन में 83 फीसदी, बिसमथ में 81 फीसदी, टेल्यूरियम में 75 फीसदी, इंडियम में 70 फीसदी और मोलिब्डेनम में 42 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है। इन खनिज तत्वों का इस्तेमाल एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर में होता है।

SOURCE : LIVE HINDUSTAN