Source :- LIVE HINDUSTAN
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म हो जाएगा। ऐसे में अप्रावसियों के लिए नरम दिली दिखाने वाले बाइडन ने जाते-जाते भी अप्रवासियों को तोहफा दिया है। बाइडन प्रशासन ने वेनेजुएला, अल सल्वाडोर, यूक्रेन और सूडान के 9 लाख से ज्यादा अप्रवासियों का टीपीएस 18 महीनों के लिए बढ़ा दिया है। यह कदम ट्रंप के आने के कुछ ही समय पहले उठाया गया है ऐसे में ट्रंप को आते साथ ही इस फैसले को बदलना आसान नहीं होगा।
बाइडन प्रशासन के इस काम को कमजोर अप्रवासियों के अधिकारों की रक्षा के रूप में देखा जा रहा है। टीपीएस प्रक्रिया का के समय को बढ़ाकर बाइडन ने ट्रंप के इस कार्यक्रम को खत्म करने के प्रयासों पर एक तरीके से पानी फेर दिया है। हालांकि इस समय के पूरा होने के बाद ट्रंप इस पर कार्रवाई कर सकते हैं।
पूरे अमेरिका में टीपीएस एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है। रिपब्लिकन पार्टी का तर्क है कि इस प्रक्रिया की वजह से बहुत से विदेशियों को अमेरिकियों से ज्यादा सहूलियत दी जा रही है। इस प्रणाली की वजह से अवैध प्रवासी भी अमेरिका की तरफ आकर्षित होते हैं। हालांकि इन सभी आलोचनाओं को नजरअंदाज करते हुए बाइडन प्रशासन ने टीपीएस का विस्तार किया है। वर्तमान समय में देखें तो इसके तहत 17 देशों के करीब 1 मिलियन से अधिक लोग अमेरिका में रह रहे हैं।
इस कार्यक्रम का समर्थन कर रहे लोगों के मुताबिक वेनेजुएला में चल रहे मानवीय संकट को देखते हुए वहां के लोगों के लिए टीपीएस एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। वेनेजुएला के लगभग 6 लाख लोग इस कार्यक्रम के तहत मदुरो के शासन से बचकर अमेरिका में रह रहे हैं। दूसरी तरह अल सल्वाडोर के करीब 2.3 लाख लोग इसके तहत अमेरिका में शांतिपूर्वक काम कर रहे हैं। रूस के साथ यूक्रेन में उलझे यूक्रेन के लगभग 1 लाख लोग इसी कार्यक्रम के तहत अमेरिका में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
क्या है टीपीएस कार्यक्रम
अमेरिका में टीपीएस कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश के समय में की गई थी। बुश ने 1990 में इमीग्रेशन बिल के भाग के रूप में इसे लागू किया था। इसका मुख्य उद्देश्य इसका उद्देश्य अमेरिका में पहले से मौजूद विदेशियों को राजनीतिक संघर्ष, प्राकृतिक आपदाओं, या उनके घरेलू देशों में सशस्त्र संघर्ष के बीच निर्वासन से सुरक्षा प्रदान करना है।
SOURCE : LIVE HINDUSTAN