Source :- BBC INDIA
एक घंटा पहले
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वादा किया है कि वो 20 जनवरी को कार्यभार संभालने के बाद पहले दिन से ही बड़े बदलाव करने जा रहे हैं.
ट्रंप ने अपने प्रशासन के लिए जिन लोगों को नियुक्त किया है उन सब में एक बात समान है, और वह है शीर्ष व्यक्ति के प्रति निष्ठा.
हालांकि इन सब के पास ट्रंप की नीतियों को लागू करने के लिए खुद के भी आइडिया हैं.
यहां हम उन पांच मुद्दों का विश्लेषण करेंगे और साथ ही उन लोगों की भी बात करेंगे जिन पर ट्रंप के वादों को पूरा करने का भरोसा जताया गया है. साथ ही विशेषज्ञों के ज़रिए हम इनके बारे में यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि ये लोग ट्रंप प्रशासन में कितने प्रभावी साबित हो सकते हैं.
आप्रवासन: सीमा प्रबंधन
अवैध तरीके से अमेरिका आए लोगों को बाहर करना और अमेरिकी सीमा को सुरक्षित बनाना- ये ट्रंप के सबसे बड़े वादों में से एक है.
अमेरिकी इतिहास में निर्वासन को लेकर यह अब तक का सबसे बड़ा वादा है. कुछ सर्वेक्षणों से पता चला है कि इसके लिए आम लोगों में समर्थन बढ़ रहा है. लेकिन, इसे किस तरह से लागू किया जाएगा, यह अब तक स्पष्ट नहीं है.
क्रिस्टी नोएम, गृह सुरक्षा मंत्री
“हमारे देश में हर अवैध प्रवासी का पहला काम क़ानून को तोड़ना है.”
क्रिस्टी चार बार कांग्रेस (अमेरिकी संसद) की सदस्य रह चुकी हैं. साल 2018 वो साउथ डकोटा की गवर्नर बनीं. कोविड के दौरान उन्होंने मास्क लगाने की अनिवार्यता और लॉकडाउन का विरोध किया था और इस वजह से उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा.
कोविड महामारी के बीच में उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने राज्य के माउंट रशमोर नेशनल मैमोरियम पर चार जुलाई (अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस) को जश्न मनाया.
नोएम क्रिस्टी वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन की सीमा नीतियों की आलोचक रही हैं.
उन्होंने अफ़ग़ान शरणार्थियों को स्वीकार करने से मना कर दिया था. सीमा प्रवर्तन में मदद के लिए अपने राज्य के राष्ट्रीय रक्षक दल के सदस्यों को टेक्सस भेजने वालीं वह पहली गवर्नर थीं.
उनकी नियुक्ति के लिए अमेरिकी संसद की मंज़ूरी ज़रूरी होगी.
टॉम होमन
“9/11 के बाद ये इस देश की सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा कमज़ोरी है और हमें इसे ठीक करना होगा.”
अमेरिका के सीमा प्रवर्तन अधिकारी के रूप में एक दशक से भी ज़्यादा का अनुभव रखने वाले टॉम होमन ट्रंप के सबसे महत्वपूर्ण कार्य को करने के लिए आदर्श विकल्प के तौर पर दिखते हैं.
टॉम होमन, पूर्व पुलिस अधिकारी भी रहे हैं. उन्होंने आप्रवासन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) के लिए भी काम किया है.
वो बिना किसी दस्तावेज के सीमा पार करने वाले बच्चों को उनके माता-पिता या अभिभावकों से अलग करने के शुरुआती समर्थकों में से एक थे. यह नीति ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उनकी सबसे विवादास्पद आप्रवासन नीतियों में से एक बन गई थी.
विदेश नीति: चीन की चुनौती
कई रूढ़िवादी मानते हैं कि आर्थिक और सैन्य शक्ति के रूप में अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व के लिए सबसे बड़ा ख़तरा चीन है.
हालांकि इस मामले में ट्रंप अधिक सतर्क रहे हैं. उन्होंने चीन संबंधी अपनी अधिकांश आलोचनाओं को व्यापार के क्षेत्र तक ही सीमित रखा है.
ट्रंप ने अपनी विदेश नीति टीम में मुखर चीन आलोचकों को शामिल किया है, जो संभवतः अधिक टैरिफ़ लगाने के ट्रंप के वादे को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे.
मार्को रुबियो, विदेश मंत्री
“चीन सबसे बड़ा ख़तरा है, जो इस शताब्दी को परिभाषित करेगा. और हमें इससे निपटने के लिए सरकार के साथ-साथ पूरे समाज के प्रयासों की ज़रूरत है.”
मार्को रुबियो ने साल 2011 से सीनेट के सदस्य के तौर पर फ़्लोरिडा का प्रतिनिधित्व किया है. क्यूबा-अमेरिकी मूल के रुबियो एक वरिष्ठ सिविल अधिकारी हैं. उन्होंने एक बार द्विदलीय आप्रवासन सुधार नीतियों का समर्थन किया था और वे ट्रंप के शुरुआती मुखर आलोचक थे.
साल 2016 में जब रुबियो रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन के लिए असफल रहे, उसके बाद ट्रंप और रुबियो के बीच प्रतिद्वंदिता देखने को मिली. हालांकि बाद में उन्होंने ट्रंप का समर्थन किया.
हाल के वर्षों में रुबियो ने चुनाव अभियान के दौरान और मीडिया के सामने ट्रंप का आक्रामकता के साथ बचाव किया है.
सीनेट की ख़ुफ़िया और विदेश संबंधी समितियों के सदस्य के रूप में वे ईरान और रूस-यूक्रेन संघर्ष के साथ-साथ चीन पर अपने सख़्त रुख के लिए जाने जाते हैं.
53 साल के रुबियो, अभी भी राष्ट्रपति बनने की महत्वाकांक्षा को जारी रख सकते हैं और विदेश मंत्री के तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि गढ़ने का प्रयास कर सकते हैं.
माइकल वाल्त्ज़, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
“सत्ता में मौजूद प्रशासन कथित कमज़ोरी से उत्साहित होते हैं, चाहे वह उचित हो या नहीं, यह उनकी धारणा है. और वे ताकत से डरते हैं.”
माइकल वाल्त्ज़, एक सम्मानित विशेष सैन्य बल के अनुभवी अधिकारी रहे हैं. वो रुबियो की तरह ही फ़्लोरिडा का प्रतिनिधित्व करते हैं.
वाल्त्ज़ भी चीन के आलोचक हैं. उन्होंने अमेरिकी संसद की उपसमिति के अध्यक्ष के तौर पर तर्क दिया था कि अमेरिका को प्रशांत क्षेत्र में टकराव के लिए और अधिक तैयारी करनी चाहिए.
वो साल 2022 में बीजिंग में हुए विंटर ओलंपिक के बहिष्कार का आह्वान करने वाले कांग्रेस के शुरुआती सदस्यों में से एक थे.
उन्होंने वर्तमान अमेरिकी प्रशासन के रुख़ की आलोचना की थी, जिसमें अफ़ग़ानिस्तान से सैनिकों की वापसी भी शामिल है.
वाल्त्ज़ ने अमेरिकी सेना की नीतियों की भी आलोचना की है, जिसके बारे में उनका कहना है कि सेना युद्ध लड़ने की क्षमता की तुलना में नस्लीय और लैंगिक विविधता, समानता और समावेशन पर अधिक ज़ोर देती है.
दक्षता: लागत में कमी
लागत में कमी लाने के लिए ट्रंप ने दो तकनीकी हस्तियों एलन मस्क और विवेक रामास्वामी को नियुक्त किया है. ये दोनों नौकरशाही को “ख़त्म” करने के अपने अभियान के तहत “डिपार्टमेंट ऑफ़ गवर्मेंट इफ़िशिएंशी” (डीवोजीई) का नेतृत्व करेंगे.
मस्क ने सरकारी ख़र्चे में संभावित दो ट्रिलियन डॉलर की कटौती का प्रस्ताव रखा है. साथ ही उन्होंने सरकार में “आश्चर्यजनक बदलाव” लाने की कसम खाई है.
रामास्वामी ने कर संग्रह एजेंसी, आईआरएस और शिक्षा विभाग को समाप्त करने का समर्थन किया है.
हालांकि डीवोजीई एक आधिकारिक सरकारी विभाग नहीं है. इसके बावजूद यह कैसे काम करेगा, यह देखना अभी बाकी है.
एलन मस्क, सरकारी दक्षता
“लोकतंत्र के लिए ख़तरा? नहीं, नौकरशाही के लिए ख़तरा.”
दक्षिण अफ़्रीका में जन्में मस्क एक्स, टेस्ला और स्पेस एक्स समेत कई कंपनियों के मालिक हैं. वो दुनिया के सबसे अमीर शख़्स हैं.
मस्क, कथित तौर पर सरकार के अधिक नियंत्रण के विरोध, सोशल मीडिया पर आक्रामक उपस्थिति और एक्स (पहले ट्विटर) के अधिग्रहण के बाद लागत में कटौती के लिए जाने जाते हैं.
उन्होंने सुझाव दिया है कि नई तकनीकियों को अपनाने से सरकार छोटी, अधिक प्रभावी और अधिक कुशल बन सकती है.
विवेक रामास्वामी, सरकारी दक्षता
“एफ़बीआई में ‘सुधार’ नहीं किया जा सकता. इसका सही जवाब है: इसे बंद कर दिया जाए. हां, राष्ट्रपति ऐसा कर सकते हैं. मैं करूंगा.”
भारतीय-अमेरिकी मूल के अरबपति विवेक रामास्वामी ने एक जैव प्रौद्योगिकी उद्यमी के रूप में नाम कमाया और फिर बाद में उन्होंने एक एसेट मैनेजमेंट फ़र्म की स्थापना की.
वे 2024 में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की रेस में शामिल हुए और ट्रंप के “अमेरिका फ़र्स्ट” एजेंडा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया.
कई महीनों तक पार्टी के भीतर उनकी लोकप्रियता बढ़ती रही, जिससे उन्हें राष्ट्रपति पद की बहसों (जिनमें ट्रंप शामिल नहीं हुए) के दौरान प्रमुख स्थान मिला और मीडिया कवरेज भी बढ़ी.
अंतत: वे ट्रंप का समर्थन करने के लिए रेस से हट गए.
रामास्वामी ने संघीय सरकार में आक्रामक कटौती की वकालत की है, जिसमें बड़े पैमाने पर छंटनी और एजेंसियों और विभागों को पूरी तरह से समाप्त करना शामिल है.
संपूर्ण परिवर्तन: यथास्थिति बदलने वाले
ट्रंप ने जिन लोगों को नियुक्त किया है उनमें से कइयों को आक्रामक रूप से यथास्थिति को चुनौती देने के उद्देश्य से भूमिकाएं दी गई हैं.
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने कैनेडी को स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग में और गबार्ड को राष्ट्रीय ख़ुफ़िया निदेशक के रूप में नियुक्ति किया है.
रॉबर्ट एफ़ कैनेडी जूनियर, स्वास्थ्य एवं मानव सेवा
“ज़्यादा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ मोटापे की महामारी को बढ़ावा दे रहे हैं. जब हम राष्ट्रपति ट्रंप को व्हाइट हाउस में वापस लाएंगे और वे मुझे वाशिंगटन ले आएंगे, तब हम अपनी टूटी हुई खाद्य प्रणाली को ठीक करेंगे और अमेरिका को फिर से स्वस्थ बनाएंगे.”
ट्रंप ने अमेरिका के सबसे प्रसिद्ध डेमोक्रेटिक परिवार के रॉबर्ट एफ़ कैनेडी जूनियर को स्वास्थ्य विभाग की ज़िम्मेदारी सौंपी है. वे लंबे समय तक एक वकील और पर्यावरणविद रहे हैं.
कोई चिकित्सा योग्यता न होने के बावजूद उनके पास अमेरिकी संघीय स्वास्थ्य एजेंसियों पर व्यापक अधिकार होंगे. इनमें वे एजेंसियां भी शामिल हैं जो टीकों के अनुमोदन की देखरेख करती हैं. कैनेडी इन एजेंसियों के उपयोग की समीक्षा करना चाहते हैं.
खाद्य प्रणाली और योजकों के उपयोग की जांच के लिए कैनेडी को जनता का अधिक समर्थन हासिल है.
कैनेडी ने शुरूआत में 2024 के डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन की मांग की थी, फिर उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए स्वतंत्र उम्मीदवारी पेश की.
उन्होंने अंततः अपने स्वतंत्र अभियान को छोड़ दिया और ट्रंप का समर्थन किया.
तुलसी गबार्ड, राष्ट्रीय ख़ुफ़िया विभाग
“उन्होंने (ट्रंप) वह साहस दिखाया, जिसकी हम अपने कमांडर-इन-चीफ़ से अपेक्षा करते हैं… शांति की खोज में शत्रुओं, तानाशाहों, सहयोगियों और साझेदारों से समान रूप से मिलने का साहस रखना और युद्ध को अंतिम उपाय मानना.”
तुलसी गबार्ड एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी रही हैं. उन्होंने इराक में चिकित्सा इकाई के साथ काम किया. गबार्ड नियमित रूप से अमेरिकी विदेश नीति का विरोध करती रही हैं.
साल 2017 में कांग्रेस के सदस्य (डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से) के रूप में उन्होंने सीरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाकात की थी और घातक रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के लिए असद को दोषी ठहराने वाले अमेरिकी ख़ुफ़िया आकलन पर संदेह जताया था.
इसके पांच साल बाद जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो उन्होंने इसके लिए नेटो को दोषी ठहराया और रूस के इस दावे को दोहराया कि यूक्रेन में ऐसी बायो लैब हैं, जिन्हें अमेरिका से फंड मिलता है.
ट्रंप की मुखर समर्थक से पहले वो वामपंथी बर्नी सैंडर्स की समर्थक रही हैं. लेकिन उनका सत्ता-विरोधी और हस्तक्षेप-विरोधी रवैया हमेशा एक जैसा रहा है.
अर्थव्यवस्था: टैरिफ़ लगाने वाले
ट्रंप ने जिन लोगों की नियुक्ति की है, उनसे व्यापार और टैरिफ़ एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके बारे में ट्रंप ने कहा है कि इससे अमेरिकी नौकरियों की रक्षा होगी.
इन लोगों से आयात कर लागू करने को कहा जा सकता है, जिसकी धमकी ट्रंप ने दी है. इसमें प्रमुख व्यापारिक साझेदार चीन, कनाडा और मेक्सिको से आने वाले सामान भी शामिल हैं.
हावर्ड लुटनिक, वाणिज्य मंत्री
“यह जीत वाली स्थिति है… हम टैरिफ़ से बहुत सारा पैसा कमाएंगे, लेकिन लगभग सभी हमारे साथ मोल-भाव करने जा रहे हैं.”
लुटनिक, वित्तीय फर्म कैंटर फिट्ज़गेराल्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और एक अरबपति हैं. कैंटर फिट्ज़गेराल्ड को उन्होंने 9/11 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले में 658 कर्मचारियों को खोने के बाद फिर से खड़ा किया था.
ट्रंप अभियान के प्रमुख डोनर के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें ट्रांजीशन टीम के सह-अध्यक्ष के रूप में मौका दिलाया, जहां वे नए प्रशासन में हजारों नौकरियों के रिक्त पदों को भरने में शामिल होंगे.
वो वाणिज्य मंत्री के पद के लिए भी ट्रंप की पसंद हैं.
लुटनिक ने मुखर होकर ट्रंप की आर्थिक योजनाओं का समर्थन किया है. इनमें व्यापक टैरिफ़ भी शामिल हैं. वाणिज्य विभाग को इसे लागू करने का काम सौंपा जाएगा. साथ ही क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रण मुक्त करने और आयकर को समाप्त करने का भी काम सौंपा जाएगा.
इन विचारों को अपनाने के कारण लुटनिक अपने उद्योग जगत के कई लोगों से अलग हो गए हैं, जो टैरिफ़ को कॉर्पोरेट अमेरिका के लिए बुरा मानते हैं.
स्कॉट बेसेंट, वित्त मंत्री
“अलेक्ज़ेंडर हैमिल्टन की तरह हमें अमेरिकी परिवारों और व्यवसायों की आजीविका में सुधार के लिए टैरिफ़ की शक्ति का उपयोग करने से नहीं डरना चाहिए.”
बेसेंट भी एक अनुभवी फ़ाइनेंसर हैं, जिनकी नियुक्ति को वॉल स्ट्रीट पर कई लोगों ने काफी सुरक्षित माना था.
स्कॉट बेसेंट ने अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ भी काम किया है. सोरोस डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनाव अभियान में सबसे प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक हैं.
हालांकि, बेसेंट अब पूरी तरह से रूढ़िवादी खेमे में हैं और बजट में कटौती, विनियमन में ढील और अमेरिकी तेल उत्पादन में निवेश बढ़ाने का समर्थन कर रहे हैं.
वे आयात पर नए टैरिफ़ लगाने के ट्रंप की योजना का समर्थन करते हैं, लेकिन लुटनिक की तरह उन्होंने भी यह संकेत दिया है कि ट्रंप टैरिफ़ को मुख्य रूप से बातचीत के साधन के रूप में देखते हैं, ना कि अमेरिकी राजस्व के स्थायी स्रोत के रूप में.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
SOURCE : BBC NEWS