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दक्षिण कोरिया के यून सुक योल गिरफ़्तार होने वाले देश के पहले राष्ट्रपति बन गए हैं. इसी के साथ पिछले सप्ताहभर से जाँचकर्ताओं और यून के सुरक्षाकर्मियों के बीच जारी रस्साकशी भी ख़त्म हो गई.

बीते दिसंबर में यून की ओर से देश में मार्शल लॉ लगाने का असफल प्रयास के बाद अशांति फैल गई और राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया गया. यून के ख़िलाफ़ राजद्रोह के आरोपों की जाँच हो रही है.

हालांकि, संवैधानिक अदालत ने यून को महाभियोग के ज़रिए पद से हटाए जाने की वैधता पर आदेश नहीं दिया है. इसलिए यून सुक योल तकनीकी तौर पर अभी भी दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति बने हुए हैं.

यून की गिरफ़्तारी नाटकीय घटनाक्रम में तब्दील हो गई.

जाँचकर्ताओं ने यून तक पहुंचने के लिए कड़ाके की ठंड में सीढ़ियों और तार काटने वाली मशीनों का इस्तेमाल किया.

दूसरी ओर गिरफ्तारी को रोकने के लिए प्रेसिडेंशियल सिक्योरिटी सर्विस (पीएसएस) के कर्मियों ने बैरिकेड्स लगा दिए थे.

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गिरफ़्तारी से पहले राष्ट्रपति का संदेश

राष्ट्रपति यून सुक योल गिरफ़्तार के बाद सीआईओ दफ्तर पहुंचे

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राष्ट्रपति यून सुक योल ने अपनी गिरफ़्तारी से पहले देश के नाम एक वीडियो संदेश जारी किया.

64 साल के योल ने इस वीडियो में कहा कि वह खूनखराबे को रोकने के लिए उच्च पदाधिकारियों की पेशी के लिए बने करप्शन इनवेस्टिगेशन ऑफिस यानी सीआईओ जाने को तैयार हैं.

तीन मिनट लंबे इस वीडियो में यून ने कहा कि वह अपने ख़िलाफ़ जाँच में सहयोग देंगे. हालांकि, उन्होंने खुद पर लगे आरोपों को ख़ारिज किया.

वह लगातार ये कहते आए हैं कि उनकी गिरफ़्तारी के लिए जारी वारंट क़ानूनी नहीं है.

यून ने कहा कि उन्होंने देखा कि कैसे अधिकारी आग बुझाने वाले उपकरणों के साथ उनके घर के सुरक्षा घेरे में घुसे.

उन्होंने कहा, “मैंने सीआईओ के सामने पेश होने का फैसला किया है. हालांकि, ये जाँच अवैध है लेकिन मैंने किसी तरह के ख़ूनखराबे को रोकने के इरादे से ये निर्णय लिया है.”

हज़ारों अधिकारी गिरफ़्तारी के लिए पहुंचे

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बुधवार की सुबह चलाए अभियान का एक हज़ार से अधिकारी हिस्सा थे. ये दूसरी बार था जब यून सुक योल को गिरफ़्तार करने की कोशिश की जा रही थी.

यून के ख़िलाफ़ जाँच कर रहे सीआईओ ने इससे पहले तीन जनवरी को भी राष्ट्रपति को गिरफ़्तार करना चाहा था.

पूछताछ के लिए जारी कई समन को नज़रअंदाज़ करने के बाद सोल के ख़िलाफ़ सीआईओ ने गिरफ़्तारी वारंट हासिल किया था.

यून की पीपल्स पावर पार्टी ने अपने नेता की गिरफ़्तारी को “अवैध” बताया है. सदन में पार्टी के नेता क्वेओन सियोंग-डोंग ने बुधवार के घटनाक्रम को ‘अफ़सोसजनक’ बताया.

दूसरी तरफ़ विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सदन में नेता पार्क चान-डे ने कहा है कि यून की गिरफ़्तारी ने दिखाया कि दक्षिण कोरिया में ‘न्याय ज़िंदा है’.

पार्टी की बैठक के दौरान उन्होंने कहा, “यह गिरफ़्तारी संवैधानिक व्यवस्था, लोकतंत्र और कानून के शासन को बहाल करने की दिशा में पहला कदम है.”

फिलहाल वित्त मंत्री चोई सांग-मोक ही दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं. उनसे पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू को बनाया गया था लेकिन विपक्षी दलों ने सू पर भी महाभियोग चलाकर उन्हें पद से हटा दिया.

अब आगे क्या?

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पूछताछ के बाद यून सुक योल को सीआईओ के दफ़्तर से करीब पाँच किलोमीटर दूर जियोंगी प्रांत में सोल डिटेंशन सेंटर में हिरासत में रखे जाने की उम्मीद है.

अगर यून की गिरफ़्तारी के 48 घंटों के भीतर कोर्ट हिरासत में लिए जाने से जुड़ा वारंट जारी नहीं करती है जो उन्हें रिहा भी किया जा सकता है. इसके बाद वह राष्ट्रपति आवास लौटने के लिए भी मुक्त आज़ाद होंगे.

राष्ट्रपति पद पर रहते हुए योल की गिरफ़्तारी दक्षिण कोरिया की राजनीति में अहम मौका है. हालांकि, फिलहाल इस देश के राजनीतिक संकट से निकलने की संभावना दूर है. बल्कि ये गिरफ़्तारी राजनीति में रोज़ सामने आ रहे नाटकीय घटनाक्रम का एक और पहलू भर है.

बुधवार सुबह यून सुक योल के घर के बाहर जुटी भीड़ ने ही देश में पैदा हुए गहरे विभाजन की झलक दे दी.

यून के विरोध में जुटे लोग जश्न मना रहे थे, तालियां बजा रहे थे. जैसे ही यून की गिरफ़्तारी की घोषणा हुई तो ये भीड़ खुशी में गाना गाने लगी.

वहीं दूसरी ओर माहौल एकदम उलट था.

यून के एक समर्थक ने बीबीसी से कहा, “हम बहुत ग़ुस्सा और निराश हैं. क़ानून पूरी तरह तोड़ा गया है.”

इस गतिरोध ने सरकार से जुड़े दो धड़ों को भी एक-दूसरे के सामने खड़ा कर दिया. एक ओर जाँच अधिकारी थे, जिनके पास क़ानूनी गिरफ़्तारी वारंट था और दूसरी ओर राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले कर्मी, जिनका कहना था कि वे राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए कर्तव्यबद्ध हैं.

मार्शल लॉ की घोषणा से पहले ही, यून को एक निष्प्रभावी नेता बना दिया गया था. क्योंकि विपक्षी पार्टी के पास संसद में बहुमत था. उन्हें अपनी पत्नी को तोहफ़े में मिले महंगे बैग की वजह से भी विवाद का सामना करना पड़ा.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

SOURCE : BBC NEWS