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9 महीने तक बेबी को अपने गर्भ में रखने के बाद जब महिला मां बनती है तो उसे सबसे ज्यादा चिंता ब्रेस्टफीडिंग को लेकर होती है। ऐसे में अगर आप नई मां बनी हैं तो आपको ब्रेस्टफीडिंग के बारे में कुछ बातें जरूर पता होनी चाहिए।

Avantika Jain लाइव हिन्दुस्तानSun, 25 May 2025 12:55 PM
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नई मां बनी हैं, तो ब्रेस्टफीडिंग के बारे में आपको पता होनी चाहिए ये बातें

मां बनने अपने आप में एक खास फीलिंग है, जिसे हर महिला एक बार जरूर महसूस करना चाहती है। कहते हैं कि 9 महीने तक अपने गर्भ में बच्चे को रखने के बाद जब पहली बार मां बच्चे को देखती है तब वह डिलीवरी के समय हुए सभी दर्द को भूल जाती है। हालांकि, एक चिंता जो बच्चे का जन्म लेने के बाद नई मां को होती है वह ब्रेस्टफीडिंग को लेकर है। ज्यादातर नई मां को शुरुआत में कम दूध आता है और ऐसे में वह यही सोचती हैं कि बच्चे का दूध से पेट भर रहा है या नहीं। इसके अलावा ये भी कंफ्यूजन रहती है कि बच्चे को दिनभर में कितनी बार दूध पिलाएं। अगर आप नई मां बनी हैं तो आपको ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी कुछ बातों को जानना चाहिए।

बच्चों के लिए सबसे अच्छा खाना है ब्रेस्ट मिल्क

ब्रेस्ट मिल्क बच्चे को पहले छह महीनों के लिए जरूरी है। ब्रेस्ट मिल्क से बच्चे को सभी पोषक तत्व मिलते हैं और साथ ही एंटीबॉडी भी मिलते हैं, जो संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। पहले छह महीनों के लिए खासतौर से ब्रेस्टफीड बच्चे की हेल्थ और ग्रोथ के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है।

बच्चे को कितनी बार दूध पिलाना चाहिए?

बच्चे का पेट छोटा होता है और ब्रेस्टफीड आसानी से पच जाता है। इसलिए 1-2 घंटे में बच्चे का पेट खाली हो जाता है। ऐसे में अपने बच्चे को पहले कुछ हफ्तों में अक्सर दूध पिलाना चाहिए, लेकिन धीरे-धीरे दूध पिलाने के बीच का समय लंबा हो सकता है। जब भी बच्चे को भूख लगे मां को उसे हमेशा दूध पिलाना चाहिए भले ही बच्चे ने एक घंटे पहले ही कुछ पिया हो। अगर आपका बच्चा दिन में कुल 7 से 19 बार दूध पीता है तो उसका स्वास्थ्य अच्छा है।

कितनी देर तक पिलाना चाहिए दूध?

दूध का अच्छा फ्लो पाने के लिए और बच्चे का पेट भरने के लिए पर्याप्त समय तक ब्रेस्टफीड कराना चाहिए। दूध पिलाने की शुरुआत में दूध ज्यादा पानीदार होता है। जिससे बच्चे की प्यास बुझती है। जैसे-जैसे दूध पिलाना जारी रहता है फैट की मात्रा बढ़ती जाती है। अपने बच्चे को एक ब्रेस्ट से जितना हो सके उतना समय ब्रेस्टफीड करने दें। ऐसा कम से कम 15 मिनट के लिए करें। फिर अपने बच्चे को डकार दिलाने या उसका डायपर बदलने के बाद उसे दूसरा ब्रेस्ट से फीड कराएं। अगर बच्चा भूखा होगा तो वह दूसरे ब्रेस्ट से भी दूध पीना जारी रखेगा।

ब्रेस्टफीडिंग से मां और बच्चे दोनों को होता है फायदा

ब्रेस्टफीडिंग से मां और बच्चे के बीच का रिश्ता मजबूत होता है और जिससे मां के शरीर को रिकवर होने में मदद मिलती है। इसके अलावा ब्रेस्टफीडिंग करने वालों बच्चों में जीवन में बाद में संक्रमण और बीमारियों की दर कम होती है।

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