Source :- LIVE HINDUSTAN
आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान का बजट ऐसा रहना चाहिए, जिसमें आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा एक बफर भी तैयार किया जाए। बता दें कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को नई किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें भी रख दी हैं। इस तरह आईएमएफ की तरफ से अब तक पाकिस्तान पर कुल 50 शर्तें लाद दी गई हैं।

पाकिस्तान को लंबी जद्दोजहद के बाद आईएमएफ से एक अरब डॉलर का लोन मिलना तय हुआ है। लंबे समय से पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ जैसी संस्थाओं और चीन जैसे देशों से कर्ज के सहारे ही चल रहा है। कई बार सऊदी अरब से भी उसे सस्ता तेल और आर्थिक मदद मिलती रही है। लेकिन इसकी एवज में उसकी संप्रभुता लगातार कम होती जा रही है। यहां तक कि वह अपने देश का बजट भी खुद तय नहीं कर सकता। 2 जून को पाकिस्तान की ओर से देश का बजट पेश करने की तैयारी है और उससे पहले आईएमएफ के साथ वह सलाह-मशविरा करेगा और तभी उसके प्रस्ताव तय किए जाएंगे। आईएमएफ की एक टीम तो सोमवार को इस्लामाबाद ही पहुंच गई है। अब पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के अधिकारी पहले आईएमएफ की टीम से सलाह लेंगे और उसके बाद ही बजट फाइनल होगा।
सूत्रों का कहना है कि आईएमएफ तय करेगा कि पाकिस्तान में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए कितना फंड तय किया जाए। पहले से चले आ रहे कर्ज के ब्याज चुकाने को कितनी रकम तय होगी और सुधारों पर क्या खर्च होगा। इससे पहले भी बीते कई सालों से पाकिस्तान के बजट को तैयार कराने में आईएमएफ का दखल रहा है। आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान का बजट ऐसा रहना चाहिए, जिसमें आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा एक बफर भी तैयार किया जाए। बता दें कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को नई किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें भी रख दी हैं। इस तरह आईएमएफ की तरफ से अब तक पाकिस्तान पर कुल 50 शर्तें लाद दी गई हैं।
आईएमएफ की शर्त के अनुसार पाकिस्तान का कुल बजट 17.6 ट्रिलियन रुपये का होगा। इसके अलावा उसे 1.07 ट्रिलियन रुपये ही विकास पर खर्च करने का अधिकार होगा। इसके अलावा टैक्स ढांचे को मजबूत करने और ऐग्रिकल्चर इनकम पर भी टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। यही नहीं आईएमएफ की शर्तों के आधार पर पाकिस्तान सरकार को गर्वनेंस ऐक्शन प्लान भी प्रकाशित करना होगा। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि पाकिस्तान की सरकार को जो सुधार करने हैं, उन पर जनता की भी नजर रहे। यही नहीं बिजली दरों में छूट पर भी लगाम कसी गई है और एक हद से ज्यादा की रियायत पाकिस्तान की सरकार अपनी जनता को नहीं दे सकती।
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