Source :- LIVE HINDUSTAN
प्रथम विश्व युद्ध के बाद बाल्टिक सागर के पूर्वी तट पर बने नए संप्रभु देशों एस्टोनिया , लातविया , लिथुआनिया और फिनलैंड को बाल्टिक देश के रूप में जाना जाता है।
पिछले तीन साल से रूस और यूक्रेन युद्ध में उलझे हुए हैं और दोनों तरफ जान-माल की बर्बादी हो रही है। रूस के पड़ोसी देश भी इस युद्ध का खामियाजा भुगत रहे हैं। कुछ तो दिन रात इसी डर और साए में जी रहे हैं कि रूस कभी भी उस पर हमला कर सकता है। पोलैंड के बाद बाल्टिक देशों और नाटो सदस्य लिथुआनिया भी इसी दौर से गुजर रहा है। उसे रूसी हमले का खतरा सता रहा है। तभी तो वहां के राष्ट्रपति गीतानास नौसेदा ने अपना रक्षा खर्च दोगुना करने और कुल जीडीपी का 5 से 6 फीसदी खर्च करने का फैसला किया है।
एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लिथुआनिया के राष्ट्रपति गीतानास नौसेदा ने शुक्रवार को कहा कि क्षेत्र में रूसी आक्रमण के खतरे को ध्यान में रखते हुए उनके देश ने वर्ष 2026 तक रक्षा पर अपने खर्च को समग्र राष्ट्रीय आर्थिक उत्पादन के 5 से 6% के बीच बढ़ाने का फैसला किया है। रूस की सीमा से सटा यह बाल्टिक देश फिलहाल अपनी जीडीपी का कुल 3% से थोड़ा ज्यादा रक्षा पर खर्च करता है।
राष्ट्रपति गीतानास नौसेदा के इस ऐलान के बाद से लिथुआनिया ऐसा पहला नाटो देश बन गया है, जिसने अपने रक्षा खर्च को जीडीपी का 5 फीसदी तक बढ़ाने का फैसला किया है। हाल ही में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा खर्च को 5% का लक्ष्य तक पहुंचाने की बात कही थी। नौसेदा ने कहा कि शुक्रवार को राज्य रक्षा परिषद द्वारा “ऐतिहासिक निर्णय” लिया गया। उस लक्ष्य तक पहुँचने से लिथुआनिया अपने आर्थिक उत्पादन के प्रतिशत के रूप में रक्षा पर सबसे अधिक खर्च करने वाला नाटो देश बन जाएगा।
फिलहाल नाटो देशों में पोलैंड एकमात्र ऐसा देश है जो अपनी जीडीपी का कुल 4% से अधिक रक्षा पर खर्च कर रहा है। पोलैंड भी रूसी सैन्य आक्रमण को देखते हुए इस सीमा को और आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है। पोलैंड ने अभी हाल ही में अपनी उत्ती सीमा पर लड़ाकू जेट और एंटी मिसाइल सिस्टम तैनात किए हैं, ताकि, रूस के किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि नाटो देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का कम से कम 5% रक्षा पर खर्च करना चाहिए, जो वर्तमान में 2% लक्ष्य से थोड़ा ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि वह नाटो सदस्य डेनमार्क के एक स्वायत्त क्षेत्र ग्रीनलैंड पर नियंत्रण करने के लिए सैन्य बल के उपयोग से इनकार नहीं करेंगे। प्रथम विश्व युद्ध के बाद बाल्टिक सागर के पूर्वी तट पर बने नए संप्रभु देशों एस्टोनिया , लातविया , लिथुआनिया और फिनलैंड को बाल्टिक देश के रूप में जाना जाता है।
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