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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 18 मार्च तक फैसला लेने का समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह केंद्र सरकार को दिया गया आखिरी मौका है। अगर केंद्र सरकार इस मामले में फैसला नहीं ले पाई, तो अदालत मेरिट के आधार पर सुनवाई शुरू करेगा।
इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से कहा कि एक मुख्यमंत्री समेत 16 लोगों की हत्या का मामला है, सरकार अभी इस मुद्दे पर विचार कर रही है। पिछली सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की मर्सी पिटीशन पर गृह मंत्रालय से जल्द फैसला लेने को कहा था।
27 साल से जेल में बंद
बलवंत सिंह राजोआना लगभग 27 साल से जेल में बंद है और उसकी दया याचिका केंद्र सरकार के पास 12 साल से लंबित है। सुनवाई के दौरान राजोआना की तरफ से दलील दी गई थी कि बम ब्लास्ट में मुख्यमंत्री की मौत हो गई थी और इस मामले में जुलाई 2007 में मौत की सजा सुनाई गई। हाई कोर्ट ने 2010 में सजा बरकरार रखा था। 27 साल से जेल में हैं। 2012 से दया याचिका लंबित है।
पेरोल पर छोड़े जाने की भी मांग
राजोआना की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि मौत की सजा के मामले में लंबे समय तक देरी करना मौलिक अधिकार का हनन है। साथ ही दया याचिका पर फैसला होने तक पेरोल पर छोड़े जाने की भी मांग की।
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