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8 मिनट पहले
बांग्लादेश ने आरोप लगाया है कि भारत में पकड़े जा रहे कथित अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को बांग्लादेश की सीमा में धकेला जा रहा है.
बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) की 25वीं बटालियन के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल जब्बार अहमद ने भारत की ओर से कथित अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को बांग्लादेश की सीमा में ‘धकेले जाने’ का दावा किया था.
अब इसे लेकर बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी की टिप्पणी आई है.
ढाका ट्रिब्यून अख़बार के मुताबिक़ शनिवार सवेरे उन्होंने आरोप लगाया है कि शुक्रवार को भारत की ओर से ब्राह्मणबारिया सीमा की तरफ से लोगों को धकेलने की कोशिश की गई थी, जिसे बॉर्डर गार्ड और स्थानीय निवासियों की मदद से असफल कर दिया गया.
उन्होंने कहा, “हमने भारतीय पक्ष से अनुरोध किया है कि वह इस तरह की पुश-इन कार्रवाई न कराए, बल्कि प्रवर्तन की औपचारिक प्रक्रियाओं का पालन करें.”
द डेली स्टार के अनुसार इसी सप्ताह बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत को एक खत लिखकर कहा था कि किसी तरह की पुश-इन की कोशिशें मौजूदा द्विपक्षीय फ्रेमवर्क का उल्लंघन हैं. विदेश मंत्रालय के अनुसार “इससे सुरक्षा को ख़तरा तो है ही, साथ ही इससे नेगेटिव पब्लिक सेन्टिमेंट बनने का भी ख़तरा है.”
बांग्लादेश के आरोपों पर भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पूर्वोत्तर भारत के दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा के बयानों से ‘पुश बैक’ की नीति लागू करने के संकेत मिले हैं.
बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार ने क्या कहा?
शनिवार को सतखीरा के श्यामनगर उपज़िला में सीमा चौकी का उद्घाटन करने के बाद बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी पत्रकारों से बात कर रहे थे.
इस दौरान उन्होंने कहा कि बांग्लादेश कूटनीतिक उपायों के ज़रिए अपनी सीमाओं पर पुश-इन की घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, “बांग्लादेश ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और प्रोटोकॉल का पालन किया है.”
मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने कहा, “हमने उन्हें (भारत को) इस मामले में सूचित किया है कि अगर कोई बांग्लादेशी अवैध रुप से भारत में रह रहा है, तो उसे सही तरीके से वापस भेजा जाना चाहिए.”
उन्होंने आगे कहा, “इसी तरह, अगर कोई भारतीय नागरिक बिना वैध दस्तावेज़ों के बांग्लादेश में रहता पाया जाता है, तो उसे क़ानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए वापस भेजा जाएगा.”
उन्होंने कहा कि विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और रोहिंग्या मामलों में देश के मुख्य सलाकार के उच्च प्रतिनिधि खलिलुर रहमान कूटनीतिक स्तर पर भारत के साथ संपर्क बनाए हुए हैं.
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इससे पहले बीजीबी की 25वीं बटालियन के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल जब्बार अहमद ने बीबीसी बांग्ला से कहा था कि “उन्हें कुछ लोगों को सीमा पार भेजने की योजना के बारे में जानकारी मिली है.”
बीते आठ मई को बीजीबी ने 116 लोगों को गिरफ़्तार किया था और दावा किया था कि उन्हें बांग्लादेश में खगराचारी और उत्तरी ज़िले कुरीग्राम के पास सीमा में प्रवेश करने के लिए भारत की ओर से मजबूर किया गया था.
बांग्लादेश के खगराचारी ज़िले के एडिशनल कमिश्नर नजमुल आरा सुल्ताना ने बीबीसी बांग्ला को बताया था कि सात मई को यहां के मतिरंगा, शांतिपुर और पंचहारी सीमा पर भारत ने कुल 72 लोगों को बांग्लादेश में ‘पुश-बैक’ किया था.
बीजीबी ने आरोप लगाया है कि भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) ब्राह्मणबरिया में बिजयनगर सीमा से लोगों को वापस भेजने की कोशिश कर रहा है.
बीजीबी का कहना था कि दो दिन पहले इस तरह के एक कोशिश को स्थानीय लोगों की मदद से नाकाम कर दिया गया.
क्या भारत की तरफ से अपनाई जा रही इस तरह की नीति?
बांग्लादेश के लगाए इन आरोपों के बीच सवाल उठ रहा है कि क्या भारत की ओर से किसी तरह की ‘पुश बैक’ नीति अपनाई जा रही है?
पिछले कुछ सालों में भारत और बांग्लादेश के बीच अवैध बांग्लादेशी नागरिकों का मामला एक संवेदनशील मुद्दा रहा है.
भारत का सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ़ मानव तस्करी के शिकार नाबालिगों या महिलाओं को मानवीय आधार पर बांग्लादेश वापस भेज देता था. लेकिन ‘पुश बैक’ कोई आधिकारिक नीति नहीं रही है.
हालांकि पिछले हफ़्ते शनिवार 11 मई को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों से निपटने के लिए भारत सरकार ‘पुश बैक’ रणनीति पर काम कर रही है.
हिमंता बिस्वा सरमा के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट किए गए इस वीडियो में वो बताते हैं, “घुसपैठ बड़ा मुद्दा है. हमने तय किया है कि अब हम क़ानूनी प्रक्रिया में नहीं जाएंगे. पहले तय था कि व्यक्ति को गिरफ़्तार करके भारतीय क़ानूनी सिस्टम में लाया जाए. इसीलिए अब इतनी संख्या में घुसपैठ की ख़बरें सुनाई दे रही हैं क्योंकि संचार बढ़ गया है.”
उन्होंने कहा, “पहले भी हर साल चार से पांच हज़ार लोगों को गिरफ्तार किया जाता था. वो लोग जेल जाते थे, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया जाता था. अब हमने तय किया है कि हम उन्हें अपने देश में नहीं लाएंगे, बल्कि उन्हें पुश करेंगे. उनको पुश-बैक करना एक नया फ़िनोमिना है, इसलिए आंकड़ा अधिक लग रहा है. लेकिन पुश बैक के कारण यह संख्या अब कम हो जाएगी.”

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इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इसी हफ़्ते मंगलवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने भी कहा था, “पिछले साल के मुक़ाबले अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से त्रिपुरा में अवैध रूप से घुसने वाले लोगों को हिरासत में लिए जाने की घटनाओं में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.”
उन्होंने कहा, “हम तीनों तरफ से बांग्लादेश से घिरे हैं. सीमा सुरक्षा मामले में बीएसएफ़ पहली कतार में है, त्रिपुरा स्टेट राइफ़ल्स दूसरी कतार में और राज्य पुलिस तीसरी कतार में है. पूर्व की सरकारों से अलग, पुलिस को आज़ादी दी गई है और हमने फ़ैसला किया है कि हम उनके कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. पुलिस क़ानून व्यवस्था बनाए रखने का काम कर रही है.”
पहलगाम हमले के बाद से भारत के कई राज्यों में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की धर पकड़ तेज़ हो गई है. गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और ओडिशा समेत कई राज्यों में ऐसे कथित अवैध नागरिकों को हिरासत में लिया गया है. बीते दिनों इसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं.
बीते तीन हफ़्ते में गुजरात और राजस्थान पुलिस ने एक हज़ार से अधिक कथित अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ़्तार किया है.
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार मोहर सिंह मीणा के अनुसार, राजस्थान से गिरफ्तार किए गए 148 लोगों के पहले जत्थे को बीते बुधवार को विशेष विमान से त्रिपुरा के अगरतला भेजा गया था.
बीबीसी बांग्ला ने पुष्टि की है कि हाल ही में बॉर्डर से बांग्लादेश भेजे गए लोगों में वे लोग भी शामिल हैं, जिन्हें गुजरात या राजस्थान में पकड़ा गया था.
गुजरात और राजस्थान की पुलिस कह चुकी है कि जिन बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की पुष्टि हो गई है, उन्हें निर्वासित कर दिया जाएगा.
ओडिशा सहित कुछ अन्य राज्यों में भी बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ़्तार किए जाने की ख़बरें हैं. पुलिस इन कथित अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को ‘घुसपैठिया’ कहती है.
‘गुजरात से त्रिपुरा ले जाया गया’

बांग्लादेश में खगराचारी की एडिशनल कमिश्रनर नजमुल आरा सुल्ताना ने बीबीसी बांग्ला से पुष्टि की है कि बीते बुधवार सुबह-सुबह खगराचारी में मतिरंगा, शांतिपुर और पंचहारी सीमाओं से कुल 72 लोगों को बांग्लादेश में वापस ‘धकेला’ गया.
खगराचारी के स्थानीय पत्रकार समीर मल्लिक ने बीबीसी बांग्ला को बताया, “हिरासत में लिए गए लोगों से पता चला कि बीएसएफ़ के जवान उन्हें गुजरात से विमान के ज़रिए त्रिपुरा ले गए थे. फिर वे एक घंटे तक पैदल चले और फिर उन्हें बीएसएफ़ ने सीमा पार भेज दिया.”
फिलहाल बंदियों को बीजीबी की निगरानी में सीमा पर अलग-अलग जगहों में रखा गया है.
अहमदाबाद के अलावा पुलिस ने सूरत, राजकोट और वडोदरा में भी ‘अवैध रूप से रह रहे विदेशियों’ को गिरफ़्तार किया.
दिल्ली से गिरफ़्तार कर ट्रेन से कोलकाता भेजा गया

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अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में गिरफ़्तार किए गए ‘अवैध’ बांग्लादेशी प्रवासियों को बीएसएफ़ द्वारा ‘पुश बैक’ किए जाने के बहुत पहले राजधानी दिल्ली से हिरासत में लिए गए 80 प्रवासियों को आधिकारिक रूप से कोलकाता भेजा गया था.
अख़बार की रिपोर्ट में कहा गया है कि 23 अप्रैल को दिल्ली में फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफ़िस ने बीएसएफ़ के ईस्टर्न कमांड को एक चिट्ठी लिख कर कहा था कि 80 लोगों के एक समूह को कोलकाता लाया जाएगा.
इस चिट्ठी में कोलकाता पुलिस से मदद मांगी गई थी कि वह इन गिरफ़्तार लोगों के ट्रेन से पहुंचने के बाद रिसीव करे और उन्हें बीएसएफ़ को हैंडओवर करे.
बीते कुछ महीनों से दिल्ली पुलिस अभियान चलाकर अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ़्तार कर रही है.
क़ानूनी प्रक्रिया से बचने की कोशिश

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इन ख़बरों पर गुजरात, राजस्थान, दिल्ली पुलिस और बीएसएफ़ की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
हालांकि बीएसएफ़ का कहना है कि ‘पुश-बैक’ शब्द उनके शब्दकोष में नहीं है. लेकिन सुरक्षा बलों के कुछ सूत्रों ने बीबीसी बांग्ला से कहा है कि जिन लोगों की हाल ही में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के रूप में पहचान की गई है, उन्हें छोटे और बड़े समूहों में बांट कर ‘वापस भेजा’ (पुश बैक) जा रहा है.
उन सूत्रों ने बीबीसी बांग्ला को बताया कि अगर गिरफ़्तारियां दिखाई गईं, तो हिरासत में लिए गए लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज होगा और फिर उन्हें जेल में रखा जाएगा.
इसके बाद लंबी कूटनीतिक जटिलताओं से गुज़रने के बाद उन्हें वापस बांग्लादेश भेजने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. ये बहुत लंबी प्रक्रिया है और इसमें कई साल लग जाते हैं.
प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए संस्था चलाने वाले आसिफ़ फारूक़ ने बीबीसी बांग्ला से कहा, “हमें हेल्पलाइन शुरू किए हुए लगभग एक महीना हो गया है. हमें गुजरात से लगभग 550 और राजस्थान से लगभग 200 कॉल प्राप्त हुई हैं.”
उन्होंने कहा, “अब तक हम गुजरात में 68 और राजस्थान में 109 शिकायतों का समाधान करने में सफल रहे हैं. केवल एक मामले में हमें पता चला है कि पश्चिम बंगाल के नादिया जिले से गिरफ़्तार किए गए एक व्यक्ति को अदालत में पेश किया गया और अब वह डिटेंशन कैंप में है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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