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Last Updated:January 15, 2025, 19:30 IST

Woman brain larger or a man: किसका दिमाग ज्यादा तेज होता है, यह मिलियन डॉलर सवाल है लेकिन किसके दिमाग में कितनी चीजें होती है और कितना बड़ा होता है, इसका उत्तर विज्ञान में है. आइए जानते हैं इसके बारे में…

आकार में किसका दिमाग बड़ा होता है.

Woman brain larger or a man: अक्सर इस बात को लेकर झगड़ा होता है कि किसका दिमाग बड़ा है. महिला का या पुरुष का. अक्सर समझा जाता है कि पुरुषों का दिमाग बड़ा होता है और उसके पास बुद्धि भी ज्यादा होती है. लेकिन विज्ञान में इस बात का कोई जिक्र नहीं है. हां, साइज के आधार पर महिला और पुरुष का दिमाग अलग-अलग होता है. ब्रेन जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक 42 पुरुष और 58 महिलाओं के दिमाग का परीक्षण करने के बाद पाया गया कि एक औसत पुरुष का दिमाग 1, 378 ग्राम होता जबकि एक महिला के दिमाग का वजन 1,248 ग्राम होता है. यानी पुरुष के दिमाग का वजन महिलाओं की तुलना में थोड़ा ज्यादा होता है. लेकिन इसका क्या बुद्धि से संबंध है. आइए जानते हैं.

पुरुषों में व्हाइट मैटर ज्यादा
विज्ञान की मानें तो दिमाग के बड़ा होने से बुद्धि का कोई संबंध नहीं है. पुरुषों के दिमाग में व्हाइट मैटर ज्यादा होता है जबकि महिलाओं के दिमाग में ग्रे मैटर ज्यादा होता है. स्टडी में यह भी पाया गया कि महिलाओं के दिमाग में कॉर्टेक्स पतला होता है. वहीं दिमाग में हिप्पोकेंपस नाम की एक चीज जिससे मेमोरी का संबंध होता है, वह पुरुषों में महिलाओं की तुलना में ज्यादा बड़ा होता है. इसके साथ ही पुरुषों में एमाइगडेला भी बड़ा होता है. दिमाग में व्हाइट मैटर हाइवे की तरह होता है जो अथाह सूचनाओं के आदान-प्रदान को अनुमति देता है. इसी कारण सीखने की, याद करने की, निर्णय लेने की, किसी चीज को ग्रहण करने की क्षमता बनती है. उदाहरण के लिए व्हाइट मैटर में कॉर्पस कोलोसम जो दाया और बाया हेमिस्फेयर को कनेक्ट करता है वह आपसी सामंजस्य की भावना को बल देता है. व्हाइट मैटर मोटर फंक्शन में भी मदद करता है. यानी किसी भी जरूरी चीज के लिए मसल्स को संदेश देता है जिसके बाद मसल्स में मूवमेंट होता है. इसी कारण इंसान जटिल से जटिल समस्याओं को सुलझा पाता है और बौद्धिक लचीलापन लाता है. कम्युनिकेशन नेटवर्क के लिए भी व्हाइट मैटर ही सब कुछ करता है. यहीं से सूचनाएं अन्य जगह ट्रांसफर होती है.

महिलाओं में ग्रे मैटर ज्यादा
ग्रे मैटर एक तरह से मस्तिष्क का ऑपरेशनल हब है, जो मानव सोच, भावना और संवाद को प्रोत्साहित करता है. अगर ग्रे मैटर सही से काम करता है तो जीवन भर बौद्धिक और संवेदनात्मक क्षमताओं में कमी नहीं होती है. ग्रे मैटर की मात्रा हेल्दी ब्रेन की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं. उम्र बढ़ने, न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियां (जैसे, अल्जाइमर) या चोट जैसे कारणों से ग्रे मैटर में आ सकती है. इससे याददाश्त में कमी और मोटर फंक्शन में कमी आ सकती है. हालांकि नई-नई चीजों को सीखना, एक्सरसाइज और दिमाग की एक्सरसाइज से ग्रे मैटर की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है. ग्रे मैटर ऐसे क्षेत्रों में स्थित होता है जहां मस्तिष्क की अधिकांश संज्ञानात्मक गतिविधियां होती हैं. इसे सेरेब्रल कॉर्टेक्स कहा जाता है. यह जटिल सोच, समस्या हल करने और निर्णय लेने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

साइज और बुद्धि का क्या संबंध है
पारस अस्पताल गुरुग्राम में न्यूरोइंटरवेंशनल डॉ. विपुल गुप्ता ने बताया कि इसमें कोई संदेह नहीं कि पुरुषों के दिमाग का साइज महिलाओं के दिमाग के साइज से 10 से 15 प्रतिशत तक ज्यादा होता है. लेकिन साइज से मानव की बुद्धि का कोई संबंध नहीं है. इससे यह साबित नहीं होता है कि पुरुषों का दिमाग महिलाओं से ज्यादा तीक्ष्ण होता है. ग्रे मैटर हो या व्हाइट मैटर दोनों से बुद्धि का संबंध तो है लेकिन यही सब कुछ नहीं है. अध्ययन में यह साबित हो चुका है महिला-पुरुष दोनों के दिमाग में एक ही तरह से काम होता है. दिमाग की शक्ति इस बात पर निर्भर करता है कि वह व्यक्ति दिमाग का किस तरह इस्तेमाल करता है.

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