Source :- LIVE HINDUSTAN
यूक्रेन ने युद्ध विराम के लिए पुतिन को तुर्की आने का न्यौता दिया है। ट्रंप ने भी आने की इच्छा जताई है। इस बीच जेलेंस्की को पुतिन से एक डर सता रहा है, जो सीजफायर में सबसे बड़ा अड़ंगा हो सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध थमने की उम्मीद एक बार फिर जगी है। इस बार मंच है तुर्की का, जहां शांति वार्ता की तैयारी है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने साफ कर दिया है कि वह इस्तांबुल में सिर्फ और सिर्फ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से आमने-सामने बात करना चाहते हैं। लेकिन असली चिंता यही है — क्या पुतिन आएंगे? इस बीच ट्रंप ने भी इस वार्ता में शामिल होने की इच्छा जताई है। ट्रंप जब से राष्ट्रपति बने हैं, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रोकने के लिए प्रयासरत हैं। ट्रंप कई बार कह भी चुके हैं कि इस कत्लेआम को अब रुक जाना चाहिए।
मंगलवार को यूक्रेन ने आशंका जताई कि युद्धविराम की इस योजना पर पुतिन खलल डाल सकते हैं। यूक्रेन का आरोप है कि गुरुवार को बुलाई गई इस बैठक को लेकर रूस की तरफ से कोई अपडेट नहीं आया है। न रूस ने हामी भरी है और न ही इनकार किया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति के सलाहकार ने रॉयटर्स को बताया कि जेलेंस्की शांति की पहल में गंभीर हैं, लेकिन वह सिर्फ पुतिन से ही बात करेंगे, क्योंकि असली फैसले वही ले सकते हैं। यूक्रेन ने आशंका जताई कि पुतिन अपनी तरफ से किसी और नेता या प्रतिनिधि को तुर्की भेज सकते हैं।
ट्रंप भी मध्यस्थता के इच्छुक
इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन-रूस वार्ता में शामिल होने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा है कि वह इस संघर्ष को खत्म करने में मदद करने को तैयार हैं। ट्रंप इससे पहले भी दावा कर चुके हैं कि अगर उन्हें मौका मिले, तो वह इस युद्ध को “24 घंटे में रोक” सकते हैं।
रूस का सस्पेंस
रूस ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह इस बातचीत में भाग लेगा या नहीं। यह भी साफ नहीं है कि अगर आएंगे, तो किस स्तर का प्रतिनिधिमंडल भेजा जाएगा। यही अनिश्चितता ज़ेलेंस्की की उम्मीदों पर छाया बनकर मंडरा रही है। गौरतलब है कि इस्तांबुल पहले भी रूस-यूक्रेन अनाज समझौते जैसे अहम मसलों का मंच रहा है और एक बार फिर तुर्की कूटनीतिक पुल की भूमिका निभा रहा है।
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