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विराट कोहली और शुभमन गिल की तस्वीर

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क्रिकेटर शुभमन गिल की तुलना विराट कोहली से करना आज के समय में सही नहीं लगेगा, लेकिन अगर हम 2014 में महेंद्र सिंह धोनी के अचानक संन्यास लेने के बाद विराट कोहली को मिली टेस्ट टीम की कप्तानी से तुलना करेंगे तो मामला थोड़ा अलग नज़र आएगा.

साल 2014 में जब विराट कोहली को टेस्ट टीम की कप्तानी मिली थी तो उन्होंने उससे पहले 29 टेस्ट में 1,855 रन बनाए थे. इनमें छह शतक और नौ अर्द्धशतक थे. कोहली का औसत 39.46 का था और उनकी उम्र थी सिर्फ़ 26 साल.

शुभमन गिल जब 20 जून को हेडिंग्ले में भारत की ओर से मैदान में टॉस करने के लिए आएंगे तो उनकी उम्र 25 साल और 285 दिन होगी. कप्तानी के मामले में शुभमन गिल टाइगर पटौदी, सचिन तेंदुलकर, कपिल देव और रवि शास्त्री (जिन्होंने सिर्फ़ एक टेस्ट की कप्तानी की थी) के बाद पांचवें सबसे युवा खिलाड़ी होंगे.

गिल अब तक 32 टेस्ट खेल चुके हैं और उन्होंने 1,893 रन बनाए हैं. इस दौरान उन्होंने पांच शतक और सात अर्द्धशतक लगाए हैं. गिल का औसत 35.05 का है.

साल 2011 के बाद विराट कोहली ने वनडे क्रिकेट में दबदबा बनाया, लेकिन यह टेस्ट कप्तानी ही थी जिसने कोहली को दिग्गज बनाने में अहम भूमिका अदा की.

कोहली ने ख़ुद को सबसे सफल कप्तान के रूप में स्थापित किया. गिल ने कोहली के इस उभार को देखा है.

वह जानते हैं कि अगर उन्हें एक अच्छा भारतीय कप्तान बनना है तो सबसे पहले उन्हें टेस्ट क्रिकेट की मुश्किल मांगों को पूरा करना होगा.

गिल के पास समय है क्योंकि अभी उनकी उम्र कम है. ऐसा ही कोहली के पक्ष में 2014 में था.

फ़िलहाल, गिल को सिर्फ़ इंग्लैंड दौरे के लिए कप्तान बनाया गया है, लेकिन चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर ने कहा है, “आप एक या दो दौरों के लिए कप्तान नहीं चुनते. हम ऐसा निवेश करना चाहते हैं जो आगे चलकर हमारे काम आए.”

इंग्लैंड दौरे के साथ ही दो साल तक चलने वाली वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप शुरू हो जाएगी.

एक तरह से देखा जाए तो गिल को सीधे गहरे पानी में यह देखने के लिए फेंक दिया गया है कि वो तैर पाते हैं या नहीं.

हर कप्तान एक जैसा नहीं होता. गिल का व्यक्तित्व कोहली की आक्रामकता या रोहित शर्मा की तरह सहज रहने वाली अप्रोच से ज़्यादा मेल नहीं खाता. गिल में कोहली और रोहित यानी दोनों की कुछ-कुछ खूबियां दिखाई देती हैं.

वो रोहित की तरह एक शांत रहकर और कोहली की तरह आत्म-सजग रहकर काम करते हैं.

शुभमन गिल शॉट खेलते हुए

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आईपीएल में गिल की कप्तानी

भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम में बदलाव के इस दौर में चयनकर्ताओं को गिल की बल्लेबाज़ी क्षमता के अलावा जो सबसे अहम चीज़ नज़र आई, वो उनके व्यक्तित्व में ‘स्थिरता’ है.

वैसे टी-20 क्रिकेट में मिली सफलता की तुलना टेस्ट क्रिकेट से करना सही नहीं है, लेकिन टी-20 में कप्तान हर गेंद पर प्रतिक्रिया देता है. इससे उनके दबाव में प्रदर्शन करने की झलक ज़रूर मिलती है.

गुजरात टाइटंस के कप्तान के तौर पर शुभमन गिल का यह दूसरा आईपीएल सीज़न था.

लेकिन केएल राहुल, संजू सैमसन और ऋषभ पंत के उलट कप्तानी से गिल की बल्लेबाज़ी पर कोई नकारात्मक असर नहीं दिखा.

इस साल गिल ने अपनी टीम (गुजरात टाइटंस) पर सिर्फ़ कंट्रोल ही नहीं बनाए रखा, बल्कि जीत और हार दोनों परिस्थितियों में संयम और समझदारी दिखाई.

गिल की क्रिकेट के सबसे कठिन फ़ॉर्मेट यानी टेस्ट में उनकी असली परीक्षा शुरू होने वाली है.

आईपीएल में अपनी सफलता के बावजूद शुभमन गिल एक ऐसे क्रिकेटर की तरह लगते हैं जो किसी पुराने दौर से आए हैं — बिना दाढ़ी के साफ-सुथरे चेहरे वाले और टैटू भी छिपे हुए.

लेकिन कैमरा बंद होने के बाद बोलना उनके बल्ले का काम होता है. पिछली बॉर्डर-गावस्कर सिरीज़ में गिल ने पांच में सिर्फ़ तीन टेस्ट खेले. जब रोहित शर्मा ने सिडनी टेस्ट (आख़िरी टेस्ट) से बाहर रहने का फ़ैसला किया तो गिल को प्लेइंग इलेवन में वापसी का मौक़ा मिला.

गिल अंतिम टेस्ट की दोनों पारियों में जल्द ही आउट हो गए. पहली पारी में लंच से ठीक पहले गिल को नेथन लायन ने अपनी फिरकी में फंसाया और दूसरी पारी में मीडियम पेसर ब्यू वेबस्टर ने गिल को आउट किया. इसके चार महीने बाद गिल को टेस्ट कप्तान बनाना किसी खिलाड़ी का करियर ही नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट की दिशा भी बदलने वाला फ़ैसला साबित हो सकता है.

अनिल कुंबले का बयान

भारतीय टीम की चिंता

गिल को पता होगा कि इंग्लैंड में उनके आंकड़े ख़राब हैं. छह पारियों में उन्होंने 14.66 की औसत से सिर्फ़ 88 रन बनाए हैं.

इंग्लैंड में केएल राहुल ने 18 पारियों में 34.11 के औसत से 614 रन बनाए हैं. इसमें शतक और एक अर्द्धशतक शामिल हैं. वहीं, उप-कप्तान ऋषभ पंत ने 15 पारियों में 34.06 की औसत से 511 रन बनाए हैं. पंत ने इस दौरान दो शतक और दो अर्द्धशतक शतक लगाए हैं.

इन दोनों के अलावा किसी अन्य बल्लेबाज़ को इंग्लैंड में कोई टेस्ट अनुभव या सफलता नहीं मिली है, इसलिए स्वाभाविक रूप से भारत के प्रशंसक चिंतित होंगे.

रोहित शर्मा और शुभमन गिल गले मिलते हुए

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गिल के पक्ष में कौन से फ़ैक्टर हैं?

शुभमन और भारत के पक्ष में दो अच्छी चीज़ें हैं. शुभमन अपने करियर की उस स्टेज में हैं जब बाहरी मांग और दबाव बल्लेबाजों को आगे बढ़ने और अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं – जैसा कि कोहली के लिए हुआ था.

फ़िलहाल गिल, 2014 वाले कोहली की तरह ही सिर्फ़ एक फॉर्मेट के कप्तान हैं.

दूसरी चीज़ यह है कि इंग्लैंड भी तेज़ गेंदबाज़ी के महान खिलाड़ियों जिमी एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड के संन्यास के बाद अपनी गेंदबाज़ी में बदलाव के दौर में है.

गिल की शुरुआती सिरीज़ में सबसे अहम बात होगी कोच गौतम गंभीर के साथ उनका तालमेल.

कहा जा रहा था कि रोहित और गंभीर के बीच कड़ी की भूमिका निभाने के लिए अभिषेक नायर को भारतीय टीम में शामिल किया गया था.

लेकिन अब नायर जा चुके हैं और गिल को गंभीर से तालमेल बैठाने के लिए खुद ही रास्ता तलाशना होगा.

शुभमन गिल

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गिल को बांग्लादेश, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सिरीज़ में गंभीर के मैनेजमेंट और फ़ैसले लेने तरीक़े को देखने का मौका मिला है.

उन्हें यह भी पता होगा कि असफलताओं के बाद किक्रेट में बदलाव का दौर चलता रहता है.

पहले कप्तान जाते हैं और फिर कोच जाते हैं. भारत ने अपनी पिछली दो टेस्ट सिरीज़ गंवा दी है.

इन हारों के बाद कप्तान चले गए हैं और अब कोच गंभीर की गर्दन पर तलवार लटकी है.

फिलहाल शुभमन गिल के पास कप्तानी में ख़ुद को साबित करने के लिए अच्छा मौक़ा है.

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SOURCE : BBC NEWS