Source :- NEWSTRACK LIVE
नई दिल्ली: दिल्ली दंगों के मुख्य साजिशकर्ता और पूर्व AAP पार्षद ताहिर हुसैन ने हाल ही में हाई कोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की है। यह याचिका दंगाई हुसैन ने आगामी विधानसभा चुनावों में AIMIM के उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने और चुनाव प्रचार के लिए दायर की है। ताहिर की इस मांग का दिल्ली पुलिस ने सख्त विरोध किया है। पुलिस का कहना है कि ताहिर हुसैन जैसे व्यक्ति को चुनाव प्रचार के लिए जमानत देना समाज और कानून व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
ये है दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपी पार्षद ताहिर हुसैन का बयान।ये राम मंदिर पर फ़ैसले से नाराज़ था,नागरिकता क़ानून के नाम पर पैसा लेकर दंगे कराए।JNU का छात्र नेता उमर ख़ालिद भी साज़िश में साथ था।ऐसे कराए जाते हैं साम्प्रदायिक दंगे।ध्यान से पढ़ लीजिए दंगों का फ़ोर्मुला। pic.twitter.com/P5IH3f6ABh
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) August 4, 2020
उल्लेखनीय है कि, 2020 के दिल्ली दंगों ने न केवल देश की राजधानी को झकझोर दिया बल्कि इसके पीछे की साजिश ने भी पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इन दंगों में 53 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हुए। दंगों के दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या ने पूरे मामले को और भी वीभत्स बना दिया। अंकित शर्मा की लाश नाले में मिली थी, और यह साबित हुआ कि उन्हें बेरहमी से मारा गया था। ताहिर हुसैन ने कोर्ट में खुद कबूल किया था कि उसका मकसद “हिन्दुओं को सबक सिखाना” और “अधिक से अधिक हिन्दुओं को मारना” था। दंगों की पूरी योजना उसके ही घर पर बनाई गई थी। उसकी छत से पत्थर, कांच की बोतलें, पेट्रोल बम, और तेजाब से भरे ड्रम बरामद हुए थे। इनका इस्तेमाल हिन्दू घरों और दुकानों पर हमले के लिए किया गया।
जातिवाद और पार्टीवाद में बंटे हिन्दुओ को ताहिर हुसैन ने झन्नाटेदार तमाचा मारा है,
केजरीवाल के गुर्गे ताहिर ने काबुल लिया है की वो हिन्दुओं को सबक सिखाना चाहता था इसी लिए दिल्ली में दंगे करवाय थे
उसका टारगेट कोई पार्टी या जाती नहीं थी सिर्फ और सिर्फ हिन्दू थे pic.twitter.com/4rDOegza8R— Janardan Mishra (@janardanmis) August 4, 2020
दंगों से पहले ताहिर हुसैन का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह अपनी छत पर खड़ा होकर मदद की गुहार लगा रहा था। यह वीडियो एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था, ताकि उसे दंगों का शिकार बताया जा सके। इस वीडियो को कुछ कथित मीडिया चैनलों ने बिना तथ्यों की जांच के खूब प्रसारित किया। इसके जरिए यह धारणा बनाई गई कि ताहिर निर्दोष है। लेकिन जब जांच आगे बढ़ी, तो सच्चाई सामने आई। दंगों की पृष्ठभूमि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में हुई रैलियों और प्रदर्शनों से जुड़ी है। CAA का मकसद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों (हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई, और पारसी) को भारत की नागरिकता देना है। लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने इसे गलत ढंग से प्रस्तुत किया और इसे मुसलमानों के खिलाफ बताया।
कट्टरपंथी, ताहिर हुसैन ने इसी विरोध को हिन्दुओं के खिलाफ नफरत फैलाने का जरिया बना लिया। CAA का समर्थन करने वालों को निशाना बनाया गया। दंगों के दौरान ताहिर हुसैन ने कट्टरपंथियों को अपने घर पर इकट्ठा किया और हिन्दुओं पर हमले के लिए उकसाया। अब उसी दंगाई ताहिर हुसैन को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने विधानसभा चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। यह कदम लोकतंत्र और संविधान की दुहाई देने वाले ओवैसी के असली चेहरे को उजागर करता है। ओवैसी ने यह साबित कर दिया कि वे कट्टरपंथियों के साथ खड़े हैं, भले ही उनका अतीत कितना भी शर्मनाक क्यों न हो।
दंगों के हेडक्वार्टर ताहिर हुसैन की कोठी का वीडियो. दिल्ली दंगा 2020 pic.twitter.com/eHg5qu42U4
— CA Rajkumar Dohare (@DohareCa) February 28, 2024
ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी का वह बयान आज भी याद है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “हिन्दुओं को 15 मिनट में खत्म कर देंगे।” ताहिर हुसैन को उम्मीदवार बनाकर AIMIM ने फिर से यही संकेत दिया है कि उनका एजेंडा संविधान या लोकतंत्र नहीं, बल्कि कट्टरपंथ को बढ़ावा देना है। वहीं, दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन की जमानत याचिका का सख्त विरोध किया है। पुलिस ने कोर्ट में दलील दी कि ताहिर न केवल दंगों का मास्टरमाइंड है, बल्कि उसने अपने फंडिंग नेटवर्क के जरिए दंगों को अंजाम तक पहुंचाया। पुलिस ने यह भी बताया कि दंगों के मामले में चार गवाह पहले ही किसी दबाव में आकर पलट चुके हैं, और अगर ताहिर को चुनाव प्रचार के लिए जमानत दी गई, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। तथा एक बार फिर एक गुनहगार, माननीय बनकर सफ़ेद खादी की आड़ में अपने काले कारनामे छिपा लेगा।
ASG चेतन शर्मा ने कोर्ट में कहा कि चुनाव लड़ने का अधिकार, मौलिक अधिकार नहीं है। नामांकन और स्क्रूटनी के लिए हिरासत परोल दी जा सकती है, लेकिन चुनाव प्रचार के लिए जमानत देना उचित नहीं होगा। आज जब भारत अपने पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को देखता है, तो CAA की अहमियत और भी स्पष्ट हो जाती है। लेकिन ताहिर हुसैन जैसे कट्टरपंथी इसे गलत समझाते हैं और अपने निजी एजेंडे को पूरा करने के लिए समाज में जहर घोलते हैं।
देखा जाए तो, AIMIM द्वारा ताहिर हुसैन को उम्मीदवार बनाना केवल एक चुनावी रणनीति नहीं है, यह कट्टरपंथ को वैधता देने की कोशिश है। देश को इस तरह की राजनीति को समझने और इसे सख्ती से नकारने की जरूरत है। ऐसे लोग न केवल समाज के लिए खतरा हैं, बल्कि हमारे लोकतंत्र और संविधान के लिए भी।
SOURCE : NEWSTRACK